सुप्रीम कोर्ट ने कहा- राष्घ्ट्र निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं प्रवासी मजदूर, नहीं की जा सकती उनकी अनदेखी
नई दिल्ली, एजेंसी। उच्चतम न्यायालय ने गुरुवार को कहा कि प्रवासी देश के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं ऐसे में उनके अधिकारों की अनदेखी नहीं की जा सकती है। शीर्ष अदालत (ैनचतमउम ब्वनतज) ने यह भी कहा कि केंद्र सरकार की ओर से तैयार कल्याणकारी योजनाएं अधिक से अधिक प्रवासी श्रमिकों तक पहुंचनी चाहिए। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से बिना राशन कार्ड के खाद्यान्न प्राप्त करने के लिए एक तंत्र विकसित करने को कहा। इसके लिए राज्यों को केंद्र सरकार की मदद करनी होगी।
न्यायमूर्ति एमआर शाह और न्यायमूर्ति बीवी नागरत्ना की पीठ ने कहा कि तक घ्घ्भारत का सवाल है तो इसमें दो लोग बहुत महत्वपूर्ण हैं। पहला किसान और दूसरा प्रवासी श्रमिक। प्रवासी श्रमिक भी राष्ट्र के निर्माण में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। प्रवासी श्रमिकों के अधिकारों को बिल्कुल भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। इसलिए आपको (सरकार) उन तक पहुंचना होगा। वे अनपढ़ हो सकते हैं। संभव है कि उनको सरकारी योजनाओं का लाभ कैसे उठाया जाए इसकी जानकारी नहीं हो। इसलिए संबंधित राज्यों को सुनिश्चित करना होगा कि योजना का लाभ कैसे उन तक पहुंचे।
अतिरिक्त सालिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी केंद्र सरकार की ओर से पेश हुए। उन्होंने पीठ को बताया कि राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र (एनआईसी) के परामर्श से विकसित पोर्टल पर राज्यों द्वारा दी गई जानकारी के आधार पर 11 जुलाई तक लगभग 27़95 करोड़ असंगठित मजदूरों या प्रवासी श्रमिकों को पंजीत किया गया है। केंद्र सरकार ने सरकार की ओर से उठाए गए कदमों के बारे में भी शीर्ष अदालत को जानकारी दी। भाटी ने शीर्ष अदालत को बताया कि प्रवासी श्रमिकों की मदद करने के लिए ई-श्रम पोर्टल शुरू किया गया है।
अतिरिक्त सालिसिटर जनरल ने कहा कि एक राष्ट्रीय करियर सेवा पोर्टल बनाया गया है जो एक ऐसा समाधान है जो भारत के नागरिकों को रोजगार और करियर से संबंधित सेवाओं की विस्तृत श्रृंखला प्रदान करता है। उन्घ्होंने ने शीर्ष अदालत को यह भी बताया कि भारत सरकार ने असंगठित श्रमिकों के लिए वृद्घावस्था सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए भी कदम उठाए हैं। सरकार ने असंगठित श्रमिकों के लिए प्रधानमंत्री श्रम योगी मान-धन (च्ड-ैल्ड) नाम से एक पेंशन योजना भी शुरू की है।