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हिजाब मामले में सुप्रीम कोर्ट की कड़ी टिप्पणी, कहा- कुतर्क की सीमा न लांघें वकील

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नई दिल्ली, एजेंसी। सुप्रीम कोर्ट में हिजाब पर प्रतिबंध विवाद कर्नाटक उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर बुधवार को भी सुनवाई हुई। कर्नाटक सरकार के शैक्षणिक संस्थानों में हिजाब प्रतिबंध को चुनौती देने वाले मामले में, सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को याचिकाकर्ताओं से कहा कि अगर संविधान के अनुच्छेद 19 के तहत कपड़े पहनने के अधिकार को पूर्ण मौलिक अधिकार के रूप में दावा किया जाता है, तो कपड़े नहीं पहनने का अधिकार भी अस्तित्व में होगा। सुनवाई के दौरान अधिवक्ताओं के कुतर्कों के लिए शीर्ष अदालत ने कड़ी टिप्पणी भी की। अदालत ने कहा कि कुतर्क और अतार्किक दलीलों से मामले के अंत पर नहीं पहुंचा जा सकता है। इनकी एक सीमा होती है।
मामले में सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता देवदत्त कामत ने अपनी दलील में सुप्रीम कोर्ट के 2014 के छ।स्ै। फैसले का हवाला देते हुए कहा कि पोशाक के अधिकार (राइट टू ड्रेस) को अनुच्छेद 19 (1) (ए) के तहत मौलिक अधिकार के रूप में मान्यता दी गई है। इस पर जस्टिस हेमंत गुप्ता की अध्यक्षता वाली पीठ ने कामत से कहा कि हम इन अतार्किक दलीलों को अंत तक नहीं ले जा सकते़.़ अगर आप कहते हैं कि पोशाक पहनने या कपड़े पहनने का अधिकार एक मौलिक अधिकार है तो कपड़े नहीं पहनने का अधिकार भी मौलिक अधिकार बन जाता है।
पीठ की टिप्पणी पर जवाब देते हुए कामत ने कहा कि मैं यहां घिसे-पिटे तर्क देने के लिए नहीं हूं। कामत ने कहा मैं एक बात साबित कर रहा हूं कि कोई भी स्कूल में कपड़े नहीं उतार रहा तो इस पर जस्टिस गुप्ता ने कहा कि आपको कोई भी पोशाक के अधिकार से इनकार नहीं कर रहा है। अर्थात कोई किसी को भी कपड़े पहनने से नहीं रोक रहा है।
इसके बाद अधिवक्ता कामत ने शीर्ष अदालत से पूछा कि क्या पोशाक में हिजाब पहनना अनुच्छेद- 19 के आधार पर प्रतिबंधित किया जा सकता है? उन्होंने कहा कि हिजाब कोई सार्वजनिक शांति व्यवस्था का मुद्दा नहीं है और न ही किसी नैतिकता के खिलाफ है। कामत ने कहा कि कोई भी उसे इसे पहनने के लिए मजबूर नहीं कर रहा है, लेकिन अगर लड़की इसे पहनना चाहती है तो क्या सरकार इस पर रोक लगा सकती है?
इस पर जवाब में जस्टिस गुप्ता ने कहा कि उसे यानी छात्राओं को हिजाब पहनने से कोई नहीं रोक रहा है़.़ यहां बात सिर्फ स्कूल के संदर्भ में हो रही है। सार्वजनिक तौर पर हिजाब पहनने पर प्रतिबंध नहीं लगाया गया।
कर्नाटक हाईकोर्ट ने अपने फैसले में राज्य के कुछ स्कूलों और कलेजों में मुस्लिम छात्राओं के हिजाब पहनने पर प्रतिबंध को बरकरार रखा गया था। याचिकाओं में इसी फैसले को चुनौती दी गई है। मामले में सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस हेमंत गुप्ता और जस्टिस सुधांशु धूलिया की पीठ सुनवाई ने की है। मामले में सुनवाई गुरुवार को भी जारी रहेगी। मामला गुरुवार सुबह 11़30 बजे के लिए सूचीबद्घ किया गया है। इससे पहले कर्नाटक हाईकोर्ट के तीन-न्यायाधीशों तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश रितु राज अवस्थी और जस्टिस ष्णा एस दीक्षित और जस्टिस जेएम खाजी की खंडपीठ ने अपने फैसले में कहा था कि हिजाब इस्लाम की आवश्यक धार्मिक प्रथाओं का हिस्सा नहीं है। यूनिफर्म की आवश्यकता अनुच्टेद 19(1)(ए) के तहत अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार पर एक उचित प्रतिबंध है। कर्नाटक हाईकोर्ट की बड़ी बेंच ने फैसले में कहा था कि सरकार के पास शिक्षण संस्थानों के संदर्भ में ऐसा राज्यादेश पास करने का अधिकार हैय इसके अमान्यकरण के लिए कोई मामला नहीं बनता है।

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