तैरता द्वीप है पहला स्वदेशी विमानवाहक युद्घपोत विक्रांत
कोच्चि,एजेंसी। 75वें स्वतंत्रता दिवस समारोह से पहले दक्षिणी नौसेना कमान ने देश में निर्मित पहले विमानवाहक युद्घपोत व इंजीनियरिंग के चमत्कार विक्रांत की झलक पेश की। नौसेना ने शुक्रवार को इस विशालकाय व सबसे जटिल युद्घपोत के दरवाजे मीडिया के लिए खोल दिए।
40 हजार टन वजनी श्विक्रांतश् पर मीडिया को संबोधित करते हुए दक्षिणी नौसेना कमान के कमांडिंग इन चीफ वाइस एडमिरल एके चावला ने कहा कि इसका पांच दिवसीय परीक्षण श्आत्मनिर्भर भारतश् का ज्वलंत उदाहरण है। उन्होंने कहा, श्यह सबसे जटिल युद्घपोतों का डिजाइन बनाने और उनके निर्माण की भारतीय नौसेना की क्षमता को प्रदर्शित करता है।श् करीब 23 हजार करोड़ रुपये की लागत वाले इस युद्घपोत ने भारत को अत्याधुनिक विमानवाहक बनाने में सक्षम चुनिंदा देशों के समूह में शामिल कर दिया है।
वरिष्ठ इलेक्ट्रिकल निगरानी अधिकारी कमांडर श्रीजीत ने बताया, श्पोत में इस्तेमाल की जाने वाली बिजली से आधा कोच्चि शहर रोशन हो सकता है। इसमें करीब 2,600 किलोमीटर लंबे केबल का इस्तेमाल हुआ है। पोत की दैनिक प्रगति का आकलन करने वाली टीम में शामिल अनूप हमीद ने कहा कि यह एक श्तैरता द्वीपश् है। उन्होंने कहा, इसमें विमान को छोटे रनवे से उड़ान भरने और लैंडिंग के लिए जरूरी सारी सुविधाएं व प्रणालियां उपलब्ध हैं।
विक्रांत के डिजाइनर मेजर मनोज कुमार ने कहा, श्इसमें इस्तेमाल इस्पात से हम तीन एफिल टावर बना सकते हैं। पोत में दो आपरेशन थिएटर (ओटी) के साथ पूरी तरह से क्रियाशील मेडिकल कांप्लेक्स भी है। स्वचालित मशीनों से सुसज्जित रसोई घर में करीब 2,000 कर्मचारियों का एकसाथ खाना बन सकता है। हैंगर में 20 विमान खड़े किए जा सकते हैं।श् लेफ्टिनेंट कमांडर जेनेट मारिया ने बताया कि नौसेना और शिपयार्ड दोनों की 25 महिला अधिकारी श्विक्रांतश् से जुड़ी हैं। इनमें से छह ने समुद्री परीक्षण में हिस्सा भी लिया।