उत्तराखंड

कार्यमुक्त होने के लिए 70% स्टाफ की बाध्यता से शिक्षकों में उबाल

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विकासनगर। दुर्गम श्रेणी के विद्यालयों से स्थानांतरित हुए शिक्षकों को कार्यमुक्त करने से पहले विद्यालय में 70 प्रतिशत शिक्षकों की उपलब्धता की बाध्यता को लेकर राजकीय शिक्षक संघ में उबाल है। शिक्षक संघ के पदाधिकारियों ने इसे हिटलरशाही फरमान करार दिया है। राजकीय शिक्षक संघ के कालसी ब्लॉक अध्यक्ष ने जारी बयान में कहा कि दुर्गम से दुर्गम के विद्यालयों में स्थानांतरित हुए शिक्षकों के लिए इस तरह की बाध्यता नहीं होनी चाहिए। जब शिक्षक को दुर्गम श्रेणी में ही जाना है तो उसे अपने इच्छित विद्यालय में जाने से रोकने के लिए यह एक साजिश है। इससे शिक्षकों का उत्पीड़न हो रहा है। उन्होंने कहा कि अपने चहेते शिक्षकों को फायदा पहुंचाने के लिए सुगम से दुर्गम में तबादले मात्र 15 प्रतिशत किए गए। इससे सुगम श्रेणी के विद्यालयों में अधिक पद रिक्त नहीं हुए हैं। इस कारण बीस साल से अधिक की दुर्गम सेवा के बाद भी अधिकांश शिक्षक तबादलों के बाद भी दुर्गम के ही विद्यालयों में जाने को मजबूर हैं। राजकीय शिक्षक संघ ब्लॉक मंत्री हेमंत कठैत ने कहा कि अधिकारियों के सभी नियम कायदे सिर्फ दुर्गम श्रेणी के विद्यालयों में तैनात शिक्षकों पर ही लागू होते हैं। अधिकारी खुद इन नियम कायदों से बाहर रहते हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि कई ब्लॉक बीईओ विहीन हैं, जबकि कई जिलों में जिला शिक्षाधिकारियों के पद रिक्त हैं। देहरादून जिला मुख्यालय और निदेशालय में अधिकांश अधिकारी जमे हुए हैं। इन अधिकारियों को पर्वतीय जनपदों और भौगोलिक दृष्टि से विषम परिस्थितियों वाले ब्लॉक मुख्यालयों में तैनात नहीं किया जाता है। कहा कि अगर जिला मुख्यालय और ब्लॉक मुख्यालय में अधिकारी नहीं चाहिए तो पद कम किए जाने चाहिए। उन्होंने कहा कि नियम कायदे सभी के लिए एक समान होने जरूरी हैं। इसके साथ ही शिक्षक संघ के विकासनगर ब्लॉक अध्यक्ष सुधीर कांति समेत अन्य पदाधिकारियों ने भी स्थानांतरित हुए शिक्षकों को कार्यमुक्त करने के लिए सत्तर प्रतिशत की अध्यापकों की उपलब्धता पर नाराजगी जताई है।

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