उत्तराखंड

आपदा एक्ट के तहत काटे जा रहे तहसील परिसर के पेड़

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बागेश्वर। तहसील परिसर में खतरे का सबब बने पेड़ तहसील प्रशासन के लिए जी का जंजाल बन गए हैं। पहले क्षेत्र के लोगों ने इसे काटने की मांग की। एसडीएम ने आपदा एक्ट में इन पेड़ों को काटना शुरू किया। अब पेड़ काटे जाने लगे तो विरोध शुरू हो गया है। प्रशासन ने 17 पेड़ों की अनुमति ली है। नीलामी के बाद इन्हें काटा जा रहा है। कटान के वक्त भित्त चित्र क्षतिग्रस्त होने से विरोध और बढ़ गया है। तहसील परिसर में यूकेलिप्टिस, तुन, आम समेत विभिन्न प्रजाति के 17 पेड़ लंबे समय से खतरे का सबब बने हुए हैं। इन पेड़ों को काटने के लिए अरायज नवीस, तहसील मार्ग पर रहने वाले लोग कई बार मांग कर चुके हैं। तहसील प्रशासन ने वन विभाग से पेड़ों को काटने की अनुमति मांगी। वन निगम ने करीब पौने दो लाख रुपये का स्टीमेट तहसील प्रशासन को दिया। राशि अधिक होने के कारण पेड़ कट नहीं सके। गत वर्ष पेड़ की एक टहनी एक कार पर गिर गई। इससे कार क्षतिग्रस्त हो गई। इस हादसे के बाद पेड़ों को काटने की मांग तेज हो गई। इसके बाद एसडीएम ने मामले का संज्ञान लेकर डीएफओ ने नीलामी के आदेश मांगे। अनुमति मिलने के बाद आपदा एक्ट में पेड़ कटवाने की तैयारी हुई। नीलामी के बाद रामनगर के ठेकेदार ने चार दिन पहले पेड़ काटने शुरू कर दिए। इधर, पेड़ कटने के दिन से ही विरोध शुरू हो गया। एक दिन पहले पेड़ कटान के दौरान तहसील मार्ग पर बने भित्त चित्र क्षतिग्रस्त हो गए। इसके बाद और विरोध और तेज हो गया। लोगों ने क्षतिग्रस्त भित्त चित्र को ठीक करने की मांग की है। इधर, वन विभाग के रेंजर एसएस करायत ने बताया कि आपदा एक्ट के तहत पेड़ काटे जा रहे हैं। इसकी अनुमति प्रशासन ने ली है।
– तहसील परिसर में खतरे का सबब बने दस पेड़ों को काटा जा रहा है। इसके लिए वन विभाग से अनुमति ली है। नीलामी के बाद पेड़ कट रहे हैं। पेड़ कटान के दौरान जो भी नुकसान भित्त चित्र को हुआ उसे ठीक किया जाएगा। लोगों के हित को देखते हुए पेड़ों का कटान जरूरी हो गया था। – हरगिरी, एसडीएम बागेश्वर।
– तहसील परिसर में खतरे बने पेड़ काटने के लिए तहसील प्रशासन ने अनुमति ले रखी है। मामले की जांच की जा रही है। जांच में यदि अनुमति से अधिक पेड़ काटे जाने की पुष्टि हुई तो कार्रवाई होगी। – अनुराधा पाल, डीएम बागेश्वर।

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