कोटद्वार-पौड़ी

मुफलिसी में कलाकार, सिस्टम कटवा रहा चक्कर

Spread the love
Backup_of_Backup_of_add

मेहनताना के लिए विभागों के चक्कर काट रहा कलाकार मनोज कुमार
फिल्मी कलाकारों के साथ ही विभिन्न जानवरों की आवाज निकलता है कलाकार
जयन्त प्रतिनिधि।
कोटद्वार : एक ओर सरकार कलाकारों को प्रोत्साहित करने की बात कह रही है। वहीं, अपनी कला से लोगों को गुदगुदाने वाला कलाकार मनोज कुमार अपना मेहनताना लेने के लिए सरकारी विभागों के चक्कर काट रहा है। लाख चक्कर काटने के बाद भी अधिकारी मनोज की शिकायत सुनने तक को तैयार नहीं है। मुफलिसी में दिन काट रहे मनोज के समक्ष घर की आर्थिकी चलाना भी एक चुनौती बन गई है।
हल्दूखाता मल्ला निवासी कलाकार मनोज कुमार फिल्मी कलाकारों के साथ ही विभिन्न जानवरों की आवाज निकालता है। मनोज एक बेहतर डांसर होने के साथ ही कई भाषाओं का भी जानकार है। कुछ वर्ष पूर्व मनोज मुंबई में अपनी कला का प्रदर्शन करता था। लेकिन, जब अपने क्षेत्र के लिए काम करने की इच्छा हुई तो वह मुंबई जैसे बड़े शहर को छोड़कर कोटद्वार आ गया। प्रशासन के कहने पर मनोज क्षेत्र के स्कूल, कॉलेज व अन्य संस्थानों में अपनी कला का प्रदर्शन करते थे। प्रशासन की ओर से मनोज को इसका मेहनताना देने की बात कही गई थी। लेकिन, कई वर्ष बीत जाने के बाद भी अब तक मनोज को उसका मेहनताना नहीं मिल पाया है। नतीजा मनोज आज भी मेहनताना के लिए तहसील के चक्कर काट रहा है। तहसील के आसपास कांधे पर एक बैग टांगा मनोज हर किसी व्यक्ति को आसानी से दिख जाएगा। आर्थिक स्थिति खराब होने से मनोज का परिवार चलाना भी मुश्किल हो गया है। मनोज बताते हैं कि वह कई भाषाएं बोल लेते हैं साथ ही उन्हें डांस का भी बेहतर अनुभव है। इसके अलावा वह फिल्मी कलाकारों और कई जानवरों की आवाज भी निकालते है। तहसील में कितने अधिकारी आए और चले गए। लेकिन, आज तक किसी ने भी उनकी शिकायत को गंभीरता से नहीं लिया। उनके समक्ष भविष्य का संकट खड़ा हो गया है। उन्होंने प्रशासन के कहने पर जहां-जहां कार्यक्रम किये उनके पास इन सभी के दस्तावेज मौजूद हैं। मनोज ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धमी से भी उनकी मदद करने की मांग की है।

कला से होने लगा मोह भंग
मनोज एक बेहतर कलाकार है। जो भी उनकी दक्षता को देखता है वह उनका मुरीद हो जाता है। स्वयं को निखारने के लिए मनोज ने कड़ी मेहनत की। लेकिन, सरकार के सिस्टम की अनदेखी से अब उनका कला से भी मोह भंग होने लगा है। मनोज बताते हैं कि उन्होंने अपने भीतर के टैलेंट को निखारने के लिए अपनी जिंदगी लगा दी। लेकिन, अंत में उन्हें केवल निराशा ही मिल रही है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!