केंद्र सरकार ने फिर कहा, कोरोना महामारी के दौरान आक्सीजन की कमी से नहीं गई किसी मरीज की जान
नई दिल्ली, एजेंसी। केंद्र सरकार ने एक बार फिर से कहा है कि कोरोना महामारी के दौरान अब तक किसी भी राज्घ्य या केंद्र शासित प्रदेश से आक्घ्सीजन की कमी की वजह से किसी भी मरीज की मौत होने की पुष्घ्टघ्िनहीं की गई है। सरकार ने राज्घ्यसभा में बताया कि उसने राज्घ्यों से ऐसे लोगों का ब्घ्योरा देने को कहा था जिनकी मौत आक्घ्सीजन की कमी की वजह से हुई थी।
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री भारती प्रवीण पवार ने राज्घ्यसभा में कहा कि चार अप्रैल, 2022 तक, राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों ने कोविड-19 के कारण देश में कुल 5,21,358 लोगों की मौत की रिपोर्ट दी है।
प्रश्नकाल के दौरान पूरक प्रश्नों का उत्तर देते हुए उन्होंने कहा, ष्बीस राज्योंध्केंद्र शासित प्रदेशों ने प्रतिक्रिया दी है और इनमें से किसी ने भी अक्सीजन की कमी के कारण मौत की पुष्टि नहीं की है।ष् उन्होंने कहा कि कुछ राज्य अब भी मंत्रालय के वेब पोर्टल पर कोविड -19 के कारण होने वाली मौतों को अपडेट और रिपोर्ट कर रहे हैं।
कांग्रेस सांसद शक्तिसिंह गोहिल के एक सवाल पर कि सरकार ने कोविड की मौत के लिए मुआवजे के रूप में 4 लाख रुपये का वादा किया था और यह पैसा क्यों नहीं दिया गया, भारती ने कहा कि सरकार ने पारदर्शी तरीके से दिशानिर्देश जारी किए हैं। उन्होंने कहा कि गरीब मरीजों के लिए बीमा योजनाओं के माध्यम से मरीजों की सुरक्षा और देखभाल की व्यवस्था की गई है। मंत्री ने यह भी कहा कि केंद्र, राज्य और जिला स्तरों पर अनुग्रह भुगतान की जांच की गई है और यह निर्धारित किया गया है कि दी जाने वाली राशि 4 लाख रुपये नहीं है। उन्होंने सदन को बताया, केंद्र, राज्य और जिला स्तरों के अनुसार 50,000 रुपये की अनुग्रह राशि प्रस्तावित है। एनडीएमए ने 50,000 रुपये मुआवजे का प्रस्ताव दिया है, न कि कोविड -19 के प्रत्येक पीड़ित के लिए 4 लाख रुपये।ष्
मंत्री ने यह भी कहा कि कोविड-19 के दौरान, सरकार ने कई उपाय किए हैं और स्वास्थ्य के बुनियादी ढांचे को मजबूत करने के लिए 64,000 करोड़ रुपये का बजट मंजूर किया गया है। उन्होंने कहा कि कोविड महामारी को देखते हुए सरकार ने स्वास्थ्य संबंधी व्यवस्था को सुदृढ़ बनाने पर जोर दिया है और अब तीन हजार से ज्यादा प्रयोगशाला तैयार हो गई हैं वहीं हर जिले में ’पीएसए’संयंत्र बनाया जा रहा है और अब तक चार हजार से ज्यादा ऐसे संयंत्र काम कर रहे हैं।