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चुनावी बांड के खिलाफ याचिका पर सुनवाई करेगा सुप्रीम कोर्ट, याचिकाकर्ता एनजीओ ने कहा- यह गंभीर मुद्दा, तत्काल सुनवाई जरूरी

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नई दिल्ली,एजेंसी। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को एक जनहित याचिका को सुनवाई के लिए सूचीबद्घ करने पर सहमति जताई है। याचिका में चुनावी बांड योजना के माध्यम से राजनीतिक दलों को चंदा देने से संबंधित कानूनों को चुनौती दी गई है।
प्रधान न्यायाधीश एनवी रमना, जस्टिस ष्ण मुरारी और हिमा कोहली की पीठ ने याचिकाकर्ता एनजीओ एसोसिएशन फार डेमोक्रेटिक रिफाघ्र्म्स की इस दलील पर गौर किया कि यह मुद्दा गंभीर है और इस पर तत्काल सुनवाई की जरूरत है। एनजीओ की ओर से पेश वकील प्रशांत भूषण ने कहा, आज सुबह बताया गया कि कोलकाता की एक कंपनी ने चुनावी बांड के माध्यम से 40 करोड़ रुपये का भुगतान किया। कंपनी सुनिश्चित करना चाहती थी कि उस पर उत्पाद शुल्क के लिए छापा न पड़े।
उन्होंने कहा, पहले भी इस बात का उल्लेख किया गया था कि याचिका को तत्काल सुनवाई के लिए सूचीबद्घ किया जाए। प्रधान न्यायाधीश ने मामले को जल्द सूचीबद्घ करने का आश्वासन देते हुए कहा कि अगर कोविड महामारी नहीं होती़.तो मैं इस पर सुनवाई कर चुका होता।
इससे पहले, भूषण ने पिछले साल चार अक्टूबर को शीर्ष अदालत से जनहित याचिका को तत्काल सूचीबद्घ करने की अपील की थी। याचिका में केंद्र को यह निर्देश देने की अपील की गई थी कि वह राजनीतिक दलों को चंदा देने और उनके खातों में पारदर्शिता की कथित कमी से संबंधित मामला लंबित रहने के दौरान चुनावी बांड की बिक्री की अनुमति नहीं दे।
एनजीओ ने 2017 में एक जनहित याचिका दायर की थी। इसमें कहा गया था कि राजनीतिक दलों को अवैध तरीके से और विदेश से मिलने वाले धन के कारण भ्रष्टाचार बढ़ता है तथा इससे लोकतंत्र को नुकसान होता है। इसने सभी राजनीतिक दलों के खातों में पारदर्शिता की कमी का आरोप भी लगाया था।
चुनावी बांड योजना के प्रविधानों के अनुसार, यह बांड किसी ऐसे व्यक्ति द्वारा खरीदा जा सकता है, जो भारत का नागरिक है या यहां पर रहता है। जनप्रतिनिधित्व कानून, 1951 के तहत रजिस्टर्ड राजनीतिक पार्टी ही चुनावी बांड के जरिये चंदा ले सकती है। हालांकि, इसके लिए पार्टी को पिछले राज्य विधानसभा चुनाव में कम-से-कम एक प्रतिशत वोट मिलना अनिवार्य शर्त है। पार्टी को किसी आधिकारिक बैंक में खातों के जरिये ही बांड का भुगतान किया जा सकता है।

 

 

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