कोटद्वार-पौड़ी

ठीक नहीं हुई पेयजल लाइन, गदेरे भरोसे ग्रामीण

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जयहरीखाल ब्लॉक की चार ग्राम सभाओं के सात गांव के ग्रामीण झेल रहे समस्या
अक्टूबर 2021 में कोलागाड गांव के लिए रोड कटिंग के दौरान क्षतिग्रस्त हुई लाइन
जयन्त प्रतिनिधि
कोटद्वार: जयहरीखाल ब्लॉक की चार ग्राम सभाओं के सात गांव के ग्रामीण पिछले एक वर्ष से पेयजल समस्या से जूझ रहे हैं। ग्रामीण पानी के लिए पूरी तरह गदेरे पर निर्भर हो गए हैं। वर्ष 2021 में कोलागाड गांव के लिए प्रस्तावित डेढ़ किमी. रोड कटिंग के दौरान इन गांवों के लिए बिछाई गई पेयजल लाइन जगह-जगह से क्षतिग्रस्त हो गई थी।
रोड कटिंग से टूटी पेयजल लाइन को जल संस्थान एक साल बाद भी ठीक नहीं करा पाया है। इस कारण से जयहरीखाल ब्लॉक की चार ग्रामसभाओं के सात गांवों के ग्रामीण एक वर्ष से पेयजल किल्लत झेल रहे हैं। ग्रामीण दो किमी दूर स्थित गदेरे से सिर पर पानी ढोकर ला रहे हैं और अपनी प्यास बुझा रहे हैं। ग्रामीणों का आरोप है कि वह इस संबंध में कई बार जल संस्थान के अधिकारियों को अवगत करवा चुके हैं, लेकिन अब तक समस्या जस की तस बनी हुई है।

वर्ष 1967 में बनी थी योजना
ग्रामसभा घेटलू के अंतर्गत बाड़ाधार, सांदणधार, पैनल ग्रामसभा के अंतर्गत तिमलाखोली, खलियाणधार, पैनलगांव, ग्रामसभा बुद्धगांव और ग्रामसभा मठाली के झिंडी डांडा तोक गांव में पेयजल समस्या को देखते हुए शासन ने वर्ष 1967 में कोलागाड पेयजल योजना को मंजूरी दी। वर्तमान में पेयजल किल्लत के कारण ग्रामीणों की दिनचर्चा प्रभावित होने लगी है। ग्रामीणों को मवेशियों के लिए पानी की व्यवस्था करना भी मुश्किल हो जाता है।

दो किलोमीटर दूर से ला रहे पानी
अक्तूबर 2021 में कोलागाड गांव के लिए प्रस्तावित डेढ़ किमी. रोड कटिंग के दौरान इन गांवों के लिए बिछाई गई पेयजल लाइन क्षतिग्रस्त हो गई थी तभी से ग्रामीण पेयजल संकट से जूझ रहे हैं। कहा कि ग्रामीण दो किमी दूर मंदाल नदी से पानी सिर पर ढोकर लाने के लिए मजबूर हैं।
जंगली जानवरों का खतरा
ग्रामीणों का कहना है कि मंदाल नदी का पूरा क्षेत्र जंगल से सटा हुआ है। ऐसे में ग्रामणों को हर समय जंगली जानवरों का खतरा बना रहता है। ग्रामीणों ने जल संस्थान के अधिकारियों से पेयजल लाइन ठीक कराकर पेयजल आपूर्ति सुचारु करने की मांग उठाई।

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