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अदाणी समूह के शेयरों में उथल-पुथल पर वित्त सचिव की प्रतिक्रिया, बोले- ये छोटी बात का बतंगड़

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नई दिल्ली, एजेंसी। अदाणी समूह के शेयरों में गिरावट से पैदा हुई शेयर बाजार की उथल-पुथल मैक्रोइकनमिक दृष्टिकोण से ये बस बात का बतंगड़ भर है। वित्त सचिव टीवी सोमनाथन ने शुक्रवार को कहा कि भारत की सार्वजनिक वित्तीय प्रणाली मजबूत है। वित्त मंत्रालय के सबसे वरिष्ठ नौकरशाह ने यह भी कहा कि शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव सरकार की चिंता का विषय नहीं है और आवश्यक कार्रवाई करने के लिए स्वतंत्र नियामक हैं।
अदाणी समूह पर धोखाधड़ी के आरोपों का बैंकों और बीमा कंपनियों के समूह में निवेश को देखते हुए वित्तीय प्रणाली पर पड़ने वाले प्रभाव के बारे में पूटे गए एक सवाल के जवाब में सोमनाथन ने कहा कि भारत के सार्वजनिक वित्तीय संस्थान मजबूत हैं।
अपने बयान में उन्होंने कहा कि श्वित्तीय स्थिरता के दृष्टिकोण से जमाकर्ताओं या पलिसीधारकों या इन संस्थानों में शेयर रखने वाले किसी भी व्यक्ति के लिए चिंता की कोई बात नहीं है। किसी एक कंपनी की हिस्सेदारी ऐसी नहीं है जिससे वृहद स्तर पर कोई प्रभाव पड़े। इस दृष्टिकोण से कोई चिंता की बात नहीं है।
अदाणी एंटरप्राइजेज के शेयर की कीमत पिछले साल दिसंबर के अपने उच्चतम स्तर 4190 रुपये के स्तर से लगभग 70 प्रतिशत तक लुढ़क गए हैं। अदाणी समूह के शेयरों में गिरावट के कारण सेंसेक्स जनवरी महीने से अब तक 1000 अंकों तक लुढ़क गया है। यह पूटे जाने पर कि क्या इस उथल-पुथल का असर विनिवेश के संशोधित संग्रह पर पड़ेगा सोमनाथन ने कहा कि इन उतार-चढ़ावों से वृहद अर्थव्यवस्था पर कोई असर नहीं पड़ेगा।
ये एक साइड शो है। ये उन लोगों मतलब की चीज है जो शेयर बाजार में रुचि रखते हैं। मैक्रोइकनमिक दृष्टिकोण से यह कोई मुद्दा नहीं है। यह बात का बतंगड़ (ैजवतउ पद ज्मं ब्नच) जैसा है। इसका पूरे बाजार से कोई लेना-देना नहीं है। वित्त सचिव ने आगे कहा कि शेयर बाजार की कीमतों में उतार-चढ़ाव चिंता का विषय नहीं है और यह सभी परिस्थितियों में सभी शेयर बाजारों की एक सार्वभौमिक घटना है।
उन्होंने कहा, सरकार की चिंता सही निवेश माहौल बनाने और वित्तीय बाजार को अच्छी तरह से विनियमित (रेगुलेट) करने की है। हमे यह सुनिश्चित करना है कि बाजार में पारदर्शिता बनी रहे यह अच्छी तरह से कार्य करता रहे। वित्त सचिव सोमनाथन ने यह भी कहा कि हमें इस बात पर ध्यान रखना है कि बाजार में विषमता कम हो और सरकार की अपनी मैक्रोइकनमिक नीतियां मजबूत बनीं रहे।

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