2007 में पकड़े गए प्रशांत राही समेत चार आरोपित दोषमुक्त, इस खतरनाक गतिविधि में लिप्त होने का था आरोप
ऊधमसिंह नगर । जिला जज प्रेम सिंह खिमाल की अदालत ने वर्ष, 2007 में माओवादी गतिविधियों में संलिप्तता के आरोप में पकड़े गए प्रशांत सांगलीकर उर्फ प्रशांत राही और उनकी पत्नी समेत चार आरोपितों को सबूतों के अभाव में दोषमुक्त कर दिया है।
वरिष्ठ अधिवक्ता एडी मैसी ने बताया कि 20 दिसंबर 2007 में नानकमत्ता के जंगलों में माओवादी गतिविधियों की सूचना पर तत्कालीन एलआइयू निरीक्षक बीएल मधवाल ने मुकदमा दर्ज कराया था। साथ ही महाराष्ट्र निवासी प्रशांत सांगलीकर उर्फ प्रशांत राही को 23 दिसंबर 2007 को गिरफ्तार किया था। इसके बाद 29 फरवरी 2008 को टीचर कालोनी, काशीपुर निवासी दीपक पुत्र बसंत बल्लभ तथा हल्दूचौड, लालकुआं, नैनीताल निवासी गोपाल भट्ट पुत्र लक्ष्मी दत्त को माओवादी गतिविधियों में पकड़ा था।
गिरफ्तार माओवादी प्रशांत राही की पत्नी मानपुर पश्चिम, रामपुर रोड, हल्द्वानी निवासी चंद्रकला को चार फरवरी 2009 को गिरफ्तार किया था। जिसके बाद चारों आरोपित जमानत पर टूट गए थे। इस बीच प्रशांत राही महाराष्ट्र के अमरावती जेल में एक अन्य मामले में बंद हो गए थे। जबकि तीनों अन्य आरोपित जमानत पर हैं। वरिष्ठ अधिवक्ता एडी मैसी ने बताया कि 24 मई 2008 को पुलिस ने चार्जशीट दाखिल की। इसके बाद मामला न्यायालय में वर्ष, 2021 तक चलता रहा। सुनवाई के दौरान सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता लक्ष्मी नारायण पटवा ने 18 गवाह भी पेश किए थे। चार जनवरी को 2022 को जिला जज ने बहस के बाद अपना निर्णय सुरक्षित रख लिया था। शुक्रवार को जिला जज प्रेम सिंह खिमाल की अदालत ने साक्ष्यों के अभाव में प्रशांत राही, उनकी पत्नी चंद्रकला, दीपक, गोपाल भट्ट को बरी कर दिया है।