सीएम गहलोत के पायलट पर दिए बयान से आलाकमान नाखुश, सत्ता और संगठन में बदलाव की अटकलें शुरू
जयपुर, एजेंसी। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट को लेकर दिए गए बयान से कांग्रेस आलाकमान नाखुश है। कांग्रेस आलाकमान ने गहलोत और पायलट को पूर्व में संगठन महासचिव के़सी़वेणुगोपाल की ओर से जारी की गई गाइड़लाइन की पालना करते हुए सार्वजनिक बयानबाजी नहीं करने का संदेश पहुंचाया है। सूत्रों के अनुसार, राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा प्रदेश से गुजरने के बाद सत्ता और संगठन में बड़ा बदलाव करने का मानस पार्टी आलाकमान ने बनाया है।
राहुल की यात्रा चार दिसंबर को प्रदेश में प्रवेश करेगी और 17दिसंबर को अलवर के रास्ते हरियाणा में प्रवेश करेगी। इस बीच वेणुगोपाल 29 नवंबर को जयपुर पहुंचेंगे । उनकी यात्रा का अधिकारिक कार्यक्रम तो भारत जोड़ो यात्रा को लेकर बताया गया है,लेकिन मुख्य मकसद विधायकों व वरिष्ठ नेताओं के साथ संवाद करना है। वेणुगोपाल की रिपोर्ट के आधार पर आलाकमान सत्ता और संगठन में बदलाव करेगा।
गहलोत से शुक्रवार को जयपुर स्थित मुख्यमंत्री आवास पर उनके निकटस्थ मंत्रियों व नेताओं ने मुलाकात की । पायलट की राहुल से बात हुई है। पायलट खेमे के विधायकों ने जयपुर में आपस में मिलकर चर्चा की । दरअसल,गहलोत ने एक न्यूज चौनल से बातचीत में पायलट को किसी भी स्थिति में सीएम नहीं बनने देने की बात कही थी। उन्होंने कहा था कि पायलट खेमे के विधायकों ने भाजपा से दस-दस करोड़ की रकम ली थी।
पंजाब कांग्रेस के प्रभारी हरीश चौधरी ने एक बयान में कहा कि कम से कम पद पर बैठे लोगों को गरिमा रखनी चाहिए। चौधरी ने कहा कि गहलोत ने खुद जाट और राजपूत के नाम पर भ्रांति फैलाई थी,जबकि हमने ऐसी कोई बात नहीं की है। उन्होंने कहा कि वेणुगोपाल द्वारा तय की गई गाइड़लाइन की सभी को पालना करनी चाहिए। सीएम को इस तरह का बयान नहीं देना चाहिए था।
विधायक और अनुसूचित आयोग के अध्यक्ष खिलाड़ी लाल बैरवा ने कहा कि सीएम के बयान से कांग्रेस कार्यकर्ताओं की भावना को ठेस पहुंची है। सीएम को इस तरह का बयान नहीं देना चाहिए था। उन्होंने कहा कि सीएम को लेकर आलाकमान शीघ्र निर्णय करेगा । पायलट ने कभी आलाकमान को चुनौती नहीं दी,जबकि गहलोत ने तो आलाकमान को ही चुनौती दी है।
सूत्रों के अनुसार गहलोत खेमे की रणनीति है कि यदि आलाकमान सीएम बदलने को लेकर ज्यादा दबाव बनाता है तो 25 सितंबर को जिन 90 विधायकों ने विधानसभा अध्यक्ष ड़सी़पीज़ोशी को इस्तीफे दिए थे,उन्हे स्वीकार करवाया जा सकता है। ऐसे हालात में विवाद और बढ़ने पर बात विधानसभा भंग करने तक पहुंच सकती है। इस्तीफों पर दो महीने बाद भी जोशी द्वारा निर्णय नहीं करने का सियासी मकसद यही माना जा रहा है। गहलोत की सलाह पर ही जोशी ने इस्तीफों पर अब तक कोई निर्णय नहीं किया है। मौका देखकर निर्णय लिया जाएगा।
सीएम गहलोत ने शुक्रवार को शिक्षक संघ अंबेडकर के एक कार्यक्रम में कहा कि जिसको आगे बढ़ना है उसको अपमान का घूंट पीना सीखना चाहिए। उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी और ड़भीमराव अंबेडकर ने अपमान का घूंट नहीं पिया होता तो आज दुनिया में उनका नाम नहीं होता । गहलोत बोले,आजादी के बाद पहली बार मैने चार कैबिनेट मंत्री दलित वर्ग से बनाए हैं। आगामी समय में दलित वर्ग के लिए बहुत कुछ किया जाएगा । उन्होंने भाजपा और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर निशाना साधते हुए कहा कि ये इतिहास को तोड़-मरोड़कर पेश करते हैं।