चौबटिया उद्यान निदेशालय की उपेक्षा अब बर्दाश्त नहीं होगी
अल्मोड़ा। चौबटिया स्थित उद्यान निदेशालय की दुर्दशा तथा निदेशालय में निदेशक के नहीं बैठने से औद्यानिक गतिविधियां बुरी तरह प्रभावित हो चली हैं। निदेशालय को देहरादून शिफ्ट करने के भी लंबे समय से प्रयास चल रहे हैं। इससे किसानों और बागावनी से जुड़े लोगों के साथ क्षेत्रवासियों में रोष है। निदेशालय की उपेक्षा तथा निदेशक सहित अधिकारियों के देहरादून में बैठने की नीति के विरोध में आगामी 18 व 19 अप्रैल को निदेशक रोको अभियान का आयोजन किया जाएगा।
पहाड़ों में बागवानी संभावनाओं को देखते हुए 1952 में उप्र के तत्कालीन मुख्यमंत्री पं. गोविंद बल्लभ पंत ने चौबटिया रानीखेत में उद्यान निदेशालय की स्थापना की थी। तब निदेशक रानीखेत निदेशालय में ही बैठते थे तथा पूरे राज्य की औद्यानिक गतिविधियां रानीखेत से ही संचालित होती थीं। औद्यानिकी के क्षेत्र में निदेशालय ने बेहतर प्रदर्शन किया। लेकिन उत्तराखंड राज्य निर्माण के बाद निदेशालय की उपेक्षा का दौर शुरू हो गया। निदेशक सहित उच्चाधिकारी देहरादून में बैठते हैं, निदेशालय के अधिकांश कामकाज देहरादून से संपन्न होते हैं। इसके विरोध में सामाजिक कार्यकर्ता व रानीखेत विधानसभा से निर्दलीय चुनाव लड़ चुके दीपक करगेती कास्तकारों के साथ 18 व 19 अप्रैल को निदेशालय में निदेशक रोको अभियान चलाएंगे। उन्होंने कहा कि पिकनिक मनाने की भांति कई महीनों में दो-तीन दिन के लिए निदेशालय पहुंचने वाले निदेशक को देहरादून नहीं लौटने दिया जाएगा। निदेशक को कम से कम 20 दिन निदेशालय में बैठना होगा। इससे पहाड़ों में औद्यानिकी का समग्र विकास हो सके। उन्होंने क्षेत्र के समस्त कास्तकारों, बागवानों से कार्यक्रम में भागीदारी करने की भी अपील की।