पटाखों में जहरीले रसायनों के इस्तेमाल पर सुप्रीम कोर्ट सख्त, कहा- हम इस तरह लोगों को मरने के लिए नहीं छोड़ सकते
नई दिल्ली, एजेंसी। पटाखों से होने वाले प्रदूषण के मसले पर सुप्रीम कोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है। सर्वोच्घ्च अदालत बुधवार को कहा कि पटाखों को बनाने में जहरीले रसायनों के इस्तेमाल पर सीबीआइ की रिपोर्ट बहुत गंभीर है। हम इस तरह से लोगों को उनके हाल पर मरने के लिए नहीं छोड़ सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा कि प्रथम दृष्टया बेरियम जैसे खतरनाक तत्घ्व का इस्तेमाल घातक है। पटाखों पर लेबल लगाने के मामले में भी अदालत के आदेशों की भी अनदेखी की गई है।
जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस एएस बोपन्ना की पीठ ने कहा कि केंद्रीय जांच एजेंसी सीबीआइ ने जब्त किए गए पटाखों में बेरियम साल्घ्ट जैसे हानिकारक रसायन पाए। हिंदुस्तान फायरवर्क्स और स्टैंडर्ड फायरवर्क्स जैसे निर्माताओं ने भारी मात्रा में बेरियम खरीदा और पटाखों में इस्तेमाल किया। सर्वोच्घ्च न्घ्यायालय ने कहा कि हर दिन देश में जश्न होता है लेकिन उसके दूसरे पहलुओं पर भी गौर करना होगा। लोगों को इस तरह से मरने के लिए नहीं छोड़ा जा सकता है।
सर्वोच्च अदालत ने कहा कि सीबीआई की रिपोर्ट के मुताबिक निर्माण कारखानों से पटाखों और कच्चे माल के सेम्घ्पल लिए गए थे। इन नमूनों को रासायनिक विश्लेषण के लिए भेजा गया था। अधिकांश पटाखों में बेरियम और बेरियम साल्ट पाए गए हैं। साल 2019 में बेरियम एवं बेरियम साल्ट पर लगाए गए प्रतिबंध के बावजूद कंपनियों की ओर से भारी मात्रा में यह रसायन खरीदे गए।
यही नहीं सर्वोच्च अदालत ने यह भी निर्देश दिया कि सीबीआइ की प्रारंभिक जांच रिपोर्ट की एक प्रति बृहस्पतिवार तक सभी संबंधित वकीलों को उपलब्घ्ध करा दी जाए। इस मामले में अगली सुनवाई छह अक्टूबर को होगी। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने केंद्रीय जांच एजेंसी सीबीआइ और चेन्नई के संयुक्त निदेशक की रिपोर्ट के संबंध में अपना मामला रखने के लिए निर्माताओं को एक और मौका दिया।