सुप्रीम कोर्ट ने कहा- दूरसंचार कंपनियों का बकाया एजीआर भविष्य में किसी मुकदमे का विषय नहीं हो सकता
नई दिल्ली , एजेंसी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि वोडाफोन आइडिया और भारती एयरटेल सहित टेलीकम कंपनियों द्वारा देय समायोजित सकल राजस्व (एजीआर) संबंधित बकाया भविष्य की किसी मुकदमेबाजी का विषय नहीं हो सकता है। न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव की अध्यक्षता वाली पीठ ने एजीआर की गणना में कथित त्रुटियों को सुधारने की मांग करने वाली दूरसंचार कंपनियों की याचिका को खारिज करते हुए यह बात कही।
शीर्ष अदालत ने कहा कि एजीआर से संबंधित विवाद बहुत लंबे समय से अदालतों में लंबित है और दूरसंचार सेवा प्रदाता (टीएसपी) द्वारा देय बकाया भविष्य में किसी भी मुकदमे का विषय नहीं हो सकता है। कोर्ट ने कहा कि एक सितंबर, 2020 के पहले के फैसले के अवलोकन से किसी भी संदेह की कोई गुंजाइश नहीं है।
अदालत ने कहा कि स्पेक्ट्रम के संबंध में दिवाला और दिवालियापन संहिता, 2016 की धारा 18 के तहत कार्यवाही के दायरे से संबंधित मुद्दे, जिस तरह से भुगतान किया जाना है और स्पेक्ट्रम साझाकरण और स्पेक्ट्रम व्यापार के मामले में टीएसपी के बीच देनदारियों को विभाजित किया गया है, (जो इन आवेदनों से संबंधित नहीं हैं) को भी एक सितंबर, 2020 के अपने फैसले में निपटाया गया था।
दूरसंचार कंपनियों ने शीर्ष अदालत के समक्ष याचिका में दलील दी थी कि गणना में अंकगणितीय त्रुटियों को ठीक किया जाए और दावा भी किया कि प्रविष्टियों के दोहराव के मामले थे। इस याचिका को कोर्ट ने खारिज कर पुराने कैल्कुलेशन को ही सही ठहराया है। आपको बता दें कि साल 2019 में एजीआर बकाए को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने संचार मंत्रालय के दूरसंचार विभाग (डट) के हित में फैसला सुनाया था।
इसके साथ ही टेलीकम कंपनियों से करीब 1 लाख 30 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा का एजीआर बकाया देने को कहा। इस कुल बकाए में से दो तिहाई रकम सिर्फ वोडाफोन आइडिया और एयरटेल का है। यही वजह है कि ये टेलीकम कंपनियां दोबारा कैल्कुलेशन की मांग कर रही थीं।