उत्तराखंड

विकास की दौड़ में सबसे पीटे तिपोला गांव

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-तिपोला के ग्रामीणों ने नहीं देखा डीएम, विधायक न अन्य अधिकारी
बागेश्वर। बागेश्वर-पिथौरागढ़ जिले के बोर्डर पर बसा जिले का अंतिम गांव तिपोला विकास की दौड़ में सबसे पीटे है। यहां सड़क नहीं होने से विकास की किरण तक नहीं पहुंच पाई है। ग्रामीणों ने जिलाधिकारी से लेकर छोटे अधिकारी तक नहीं देखे हैं। विधायक का नाम सुना है, लेकिन देखा नहीं है। उम्र के अंतिम पड़ाव में पहुंचे लोगों की एक ही तमन्ना है कि उनके गांव में किसी तरह गाड़ी पहुंच जाए।
तिपोला गांव बागेश्वर विधानसभा का अंतिम गांव है। यह गांव पिथौरागढ़ जिले से लगा है। गांव में उनता अधिक पलायन भी नहीं है। आज भी 45 परिवार गांव में रहते हैं। खेती किसानी तथा मेहनत मजदूरी कर लोग अपना जीवन यापन करते हैं। उन्होंने कहा कि सरकार तथा उनके नुमाइंदों ने गांव की सुध तक नहीं ली। आज भी गांव सड़क से कोसों दूर है। पास में बह रही भद्रपति नदी में आज तक पैदल पुल या सड़क पुल नहीं बन सका है। गांव के लोगों का कहना है कि उनके गांव में आज तक कोई अधिकारी नहीं आया और न विधायक व सांसद। वोट मांगने कई बार नेता आए, लेकिन कुर्सी मिलते ही गांव की सुध लेना भूल गए।

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