उत्तराखंड

पिरुल से ईंट बनाने की तकनीक बताई

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उत्तरकाशी। वन अनुसंधान संस्थान देहरादून के विशेषज्ञों ने टौंस वन प्रभाग के सांद्रा वन चेतना केंद्र में वन पंचायतों, प्रधानों, युवाओं, महिला समूहों को वनाग्नि सुरक्षा के बारे में बताया। साथ ही चीड़, पिरुल से ईंट व स्थानीय उत्पादों को तैयार करने के गुर सिखाए। वन विशेषज्ञों ने जंगलों के बीच निवास कर रहे ग्रामीणों को आए दिन जंगली जानवरों के साथ संघर्ष व नुकसान से बचने के साथ ही वनाग्नि रोकथाम, वन्य जीवों की सुरक्षा के बारे में विस्तृत जानकारी दी। भारतीय वन सेवा के विजय रात्रे, मोहित हुसैन, वैज्ञानिक ड़ अमित कुमार वर्मा और तकनीकि अधिकारियों ने वनाग्नि घटनाओं के कारण, इसके परिणाम, वनाग्नि से प्रभावित क्षेत्रों के उपचार, अग्नि सुरक्षा के उपकरणों के उपयोग पर विस्तार से जानकारी दी। उपकरणों के प्रयोग के बारे में वन पंचायतों के सरपंचों, प्रधानों, महिला समूहों व युवाओं को बताया गया। एफआरआई के विशेषज्ञ सुशील भट्टाराई और तकनीकी अधिकारी दीपिका ने महिलाओं को पिरुल पत्तियों से रेशा बनाने की विधि बताई। मौके पर उप वन संरक्षक टौंस कुंदन कुमार, वन विशेषज्ञ ड अमित वर्मा रेंज अधिकारी यशपाल सिंह राठौड़, अमिता चौहान, रोबिन सिंह, दिनेश भट्ट, हरीश चौहान समेत टौंस वन प्रभाग कर्मचारी एवं अधिकारी मौजूद थे।

 

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