यूएसएआईडी फंडिंग को लेकर ट्रंप ने उठाए सवाल, बोले- ‘क्या बाइडन नहीं चाहते थे भारत में बने मोदी सरकार

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न्यूयॉर्क । अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर भारत में वोटिंग बढ़ाने के लिए सहायता राशि देने पर सवाल उठाए हैं। ट्रंप ने कहा कि तत्कालीन बाइडन सरकार गलत कदम उठा रही थी और उसकी मंशा भी कुछ और लग रही थी। अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा कि बाइडन द्वारा भारत को वोटिंग बढ़ाने के लिए 182 करोड़ के लगभग (21 मिलियन डॉलर) देना एक सवाल खड़ा करता है कि क्या वो किसी और को निर्वाचित कराने की कोशिश कर रहे थे।
ट्रंप ने कहा, हमें भारत में वोटिंग बढ़ाने पर 21 मिलियन डॉलर खर्च करने की क्या जरूरत है? मुझे लगता है कि वे किसी और को निर्वाचित कराने की कोशिश कर रहे थे। हमें भारत सरकार को बताना होगाज् यह पूरी तरह से एक बड़ी सफलता है। ट्रंप की यह टिप्पणी अरबपति एलन मस्क के नेतृत्व वाले अमेरिकी सरकारी दक्षता विभाग (ष्ठह्रत्रश्व) द्वारा यह खुलासा किए जाने के कुछ दिनों बाद आई है कि यूनाइटेड स्टेट्स एजेंसी फॉर इंटरनेशनल डेवलपमेंट ने भारत में वोटिंग को बढ़ावा देने के लिए 21 मिलियन डॉलर का योगदान दिया है।बता दें कि डोनाल्ड ट्रंप ने चुनाव जीतने के बाद ‘कार्य दक्षता’ एजेंसी ष्ठह्रत्रश्व बनाई थी। ष्ठह्रत्रश्व ने 16 फरवरी को उन चीजों की सूची बनाई जिन पर अमेरिकी करदाताओं के पैसे खर्च होते थे और सूची में भारत में मतदान के लिए 21 मिलियन अमेरिकी डॉलर देना शामिल था। ष्ठह्रत्रश्व ने कहा कि बांग्लादेश में राजनीतिक परिदृश्य को मजबूत करने के लिए 29 मिलियन डॉलर की अतिरिक्त राशि निर्धारित की गई थी। बांग्लादेश में हाल ही में पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को हटाने में अमेरिकी ‘डीप स्टेट’ की संलिप्तता के आरोपों के बीच राजनीतिक उथल-पुथल देखी गई थी।
ष्ठह्रत्रश्व द्वारा स््रढ्ढष्ठ को लेकर घोषणा के बाद भाजपा ने 21 मिलियन डॉलर के अनुदान को लेकर विपक्षी पार्टी कांग्रेस पर निशाना साधा। पार्टी ने कहा कि यह निश्चित रूप से भारत की चुनावी प्रक्रिया में बाहरी हस्तक्षेप है। पार्टी नेता अमित मालवीय ने कहा कि ये विदेशी संस्थाओं द्वारा भारतीय संस्थानों में व्यवस्थित घुसपैठ है। मालवीय ने दावा किया कि एक बार फिर, यह जॉर्ज सोरोस हैं, जो कांग्रेस पार्टी और गांधी परिवार के जाने-माने सहयोगी हैं, जिसका हाथ इसमें हो सकता है।

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