संयुक्त राष्ट्र ने जारी किया आतंकवाद पर दिल्ली घोषणापत्र, बढ़ेगी पाकिस्तान की मुश्किलें
नई दिल्ली। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की आतंकवाद निरोधक समिति की पिछले दो दिनों से देश के दो शहरों में चली बैठक के बाद शनिवार को दिल्ली घोषणापत्र जारी किया गया। संयुक्त राष्ट्र के सभी सदस्य देशों के लिए जारी इस घोषणापत्र में मुख्य तौर पर नई व उभरती तकनीक को आतंकवादी संगठनों की पहुंच से बाहर रखने के लिए एक वैश्विक रणनीति बनाने का रोडमैप है।
यह रोडमैप अगर सही तरीके से हर देश लागू करते हैं तो पाकिस्तान जैसे देशों के लिए आतकंवाद को शरण देना और आतंकवादी संगठनों व आतंकवादियों को वित्तीय मदद पहुंचाना मुश्किल हो जाएगा। इसमें सभी सदस्य देशों से कहा गया है कि वो आतंकवादियों के सुरक्षित पनाहगाह को पहचानने में और इन्हें शरण देने वाले, वित्त सुविधा देने वाले, समर्थन करने वालों को घरेलू व अंतरराष्ट्रीय नियमों के मुताबिक सजा दिलाने में मदद करेंगे।
एक्सपर्ट का कहना है कि इसके जरिए आतंकवाद को आधिकारिक नीति के तहत मदद कर रहे पाकिस्तान को घेरने में मदद मिल सकती है। इसमें कई ऐसे बिंदू हैं, जिन्हें वैश्विक मंचों परभारत लंबे समय से उठाता रहा है। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि समाज को अस्थिर करने के उद्देश्य से दुष्प्रचार, कट्टरता और षड्यंत्र फैलाने के लिए आतंकियों और आतंकवादी समूहों के टूलकिट में इंटरनेट मीडिया प्लेटफार्म शक्तिशाली हथियार बनते जा रहे हैं।
घोषणापत्र में कहा गया है कि सभी सदस्य देशों की यह जिम्मेदारी है कि वह आतंकवादी गतिविधियों को किसीभी तरह (परोक्ष या प्रत्यक्ष) से मदद नहीं करेंगे। आतंकवादी समहूों में युवाओं को शामिल करने या उन्हें हथियारों की आपूर्ति को रोकनाभी सरकारों का दायित्व होगा। दिल्ली घोषणापत्र में यहभी कहा गया है कि सभी सदस्य देशों का यह दायित्व होगा कि वह आतंकवाद के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय संधियों व समझौतों को लेकर अपने कर्तव्यों का निर्वहण करें।
दिल्ली घोषणापत्र में सभी सदस्य देशों से कहा गया है कि वो आतंकवाद को लेकर शून्य सहनशीलता का नियम अख्तियार करेंगे। इसमें हर तरह के आतंकवाद को पूरी दुनिया की शांति व सुरक्षा के लिए एक बड़ा खतरा करार दिया गया है। इसमें यहभी स्पष्ट तौर पर लिखा गया है कि आतंकवाद को किसीभी धर्म, राष्ट्रीयता या किसी खास समूह के साथ नहीं जोड़ा जाना चाहिए।