उत्तराखंड कांग्रेस ने बजट को बताया निराशाजनक, कहा- मध्यम वर्ग को दीं शहद में लिपटी कड़वी गोलियां
देहरादून । उत्तराखंड में नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने कहा कि मोदी सरकार ने अपने बजट में मध्यम वर्ग को शहद में लिपटी कड़वी गोलियां दी हैं। शिक्षा के बजट को 2़64 प्रतिशत से घटाकर 2़5 प्रतिशत करना और स्वास्थ्य का बजट 2़2 प्रतिशत से घटाकर 1़98 करना दुर्भाग्यपूर्ण है।
उन्होंने कहा कि बढ़ती बेरोजगारी, किसानों की दुर्दशा, महंगाई को कम करने और छोटे मझोले उद्योगों के लिए बजट में कुछ नहीं किया गया है। षि, पब्लिक हेल्थ, शिक्षा, मनरेगा, फूड सिक्योरिटी व सामाजिक सरोकारों, जन कल्याण के बजट आवंटन पिछले वर्ष की तुलना में कम किए गए हैं। जो किसान-मजदूर, गरीबों, पिछड़ों, दलितों आदिवासियों के लिए खतरे की घंटी है।
उन्होंने कहा कि आम बजट में मात्र कोरी घोषणाओं का अंबार लगाया गया है, उन्हें पूरा करने के लिए पैसा कहां से आएगा, इसका कोई उल्लेख नहीं है। बजट में नए रोजगार के अवसर सृजित करने के लिए कोरी घोषणाएं मात्र हैं। कोरोना महामारी के बाद बेरोजगार हुए करोड़ों लोगों की पुर्नबहाली की बात पर भी सरकार मौन है।
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा ने मोदी सरकार के आम बजट को दिशाहीन, प्रतिगामी, विकास अवरोधी और आम आदमी के हितों के खिलाफ महंगाई और बेरोजगारी बढ़ाने वाला बताया है। माहरा ने कहा कि आम बजट देश की आर्थिक वृद्घि को चोट पहुंचाने वाला है। देश के वित्त मंत्री ने बजट में आंकड़ों की बाजीगरी कर घुमाकर नाक पकड़ने का काम किया है। कोरी घोषणाओं व जुमलेबाजी वाले बजट में वित्तीय प्रबंधन का नितांत अभाव है। इस बजट से बेरोजगारी बढ़ने के साथ ही आम आदमी के सिर पर महंगाई का बोझ बढ़ेगा। उन्होंने कहा कि वित मंत्री की ओर से प्रस्तुत बजट के प्रावधानों से खस्ताहाल अर्थव्यवस्था में विकास दर दहाई का आंकड़ा भी नहीं टू पाएगी।
माहरा ने कहा कि केंद्र सरकार की ओर से किसानों की आय दोगुनी करने की बात बार-बार की जाती है, लेकिन इसका कोई प्रावधान बजट में नहीं किया गया है। एक वर्ष के अंतराल में कुछ राज्यों के विधानसभा चुनाव और वर्ष 2024 के लोकसभा चुनावों को केंद्र में रखकर गरीब खाद्यान्न योजना में एक साल की वृद्घि मात्र की गई है।
उधर, उपाध्यक्ष मथुरादत्त जोशी और मीडिया प्रभारी राजीव महर्षि ने कहा कि बजट में नया कुछ भी नहीं है। टैक्स स्लैब में बदलाव न के बराबर है। महिला, युवा, बेरोजगार, किसान, मजदूर के लिए बजट में कोई राहत नहीं दी गई है। कुल मिलाकर आम बजट में अपने उद्योगपति दोस्तों का हित साध कर आम आदमी की उपेक्षा की गई है।