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उत्तरकाशी पहुंचते ही मिशन इंद्रावती शुरू किया जिलाधिकारी ने

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उत्तरकाशी। ऊधमसिंहनगर में बंजर पड़े और अतिक्रमण की जद में आए 550 तालाबों को पुनर्जीवित करने के बाद जिलाधिकारी के रूप में उत्तरकाशी आए मयूर दीक्षित ने यहां मिशन इंद्रावती शुरू किया है। इसके तहत इंद्रावती नदी को जीवन देने वाले आठ जल स्त्रोतों का चिह्नीकरण करने के बाद इनके संरक्षण की जिम्मेदारी तय कर दी गई हैं। माइक्रो प्लान तैयार करने के बाद आठ नोडल अधिकारी बनाए गए हैं। उम्मीद है कि वर्ष 2021 में जल संरक्षण के सकारात्मक नतीजे सामने आ जाएंगे। इंद्रावती नदी बाड़ागड्डी पट्टी के गांवों के लिए जीवन धारा की तरह है। बरसात में नदी का जलस्तर काफी बढ़ा रहता है, लेकिन शीतकाल और ग्रीष्मकाल में जलस्तर बेहद कम हो जाता है। यही वो समय है, जब पानी की सबसे अधिक जरूरत होती है। इसी को देखते हुए जिलाधिकारी मयूर दीक्षित ने इंद्रावती नदी के पुनरुद्धार की योजना बनाई, जिस पर कार्य शुरू हो चुका है। उत्तरकाशी के जिलाधिकारी मयूर दीक्षित इससे पहले ऊधमसिंहनगर के मुख्य विकास अधिकारी रह चुके हैं। उसी दौरान उन्होंने ऊधमसिंहनगर में 550 तालाबों को पुनर्जीवन दिया। केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय ने भी उनकी इस पहल की सराहना की। उत्तकाशी के जिलाधिकारी का कार्यभार ग्रहण करने बाद उन्होंने इंद्रावती नदी के पुनरुद्धार की योजना पर काम शुरू किया। इसके तहत इंद्रावती को रिचार्ज करने वाले आठ प्रमुख स्त्रोतों का चिह्नीकरण कर इनके संरक्षण को आठ अधिकारी नामित किए गए। जिन आठ जलस्त्रोतों को रिचार्ज करना है, उनके निकट पुराने चालखाल को पुनर्जीवित करने, चेक डैम, पौधा रोपण व वाटर शेड के कार्य होने हैं। वन क्षेत्र के अलावा नोडल अधिकारी किसानों को भी उनकी अकृषि भूमि पर छायादार व फलदार पौधों के रोपण के लिए प्रेरित करेंगे। अगले वर्षाकाल में पौधों के रोपण को स्थान चयन करने में नोडल अधिकारी जुट गए हैं।
इंद्रावती नदी की कुल लंबाई करीब 12 किमी है। इसका मूल उद्गम क्षेत्र हरुंता का जंगल और बुग्याल है। इस नदी में सात-आठ छोटी-छोटी बरसाती नदियां भी मिलती हैं। शीतकाल व गर्मी के मौसम में इस नदी में पानी काफी कम हो जाता है, इसलिए इसका पुनरुद्धार जरूरी है। नदी से किशनपुर, मानपुर, थलन, धनपुर, साड़ा, साड़ग, बौंग, भैलूड़ा, कोटी, लदाड़ी, जोशियाड़ा के खेतों को पानी मिलता है।

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