टीकाकरण अभियान की सफलता बनेगा ओमिक्रोन के खिलाफ रक्षा कवच, नए वैरिएंट से निपटने में भारत बेहतर स्थिति में
नई दिल्ली, एजेंसी। भारत में टीकाकरण अभियान की सफलता ओमिक्रोन के खिलाफ सबसे बड़ा रक्षा कवच साबित हो सकता है। ओमिक्रोन के संक्रमण से ग्रसित दुनिया के अन्य देशों के आंकड़े से इसके संकेत मिल रहे हैं। जिन देशों में टीकाकरण अभियान ज्यादा सफल रहा है, वहां ओमिक्रोन संक्रमण से होने वाली मौतों की संख्या कम है। उन देशों में मरने वालों में अधिकांश ऐसे संक्रमित हैं, जिन्होंने टीका नहीं लिया था। ध्यान देने की बात है कि भारत में 90 फीसद वयस्क आबादी को एक डोज और 64 फीसद वयस्क आबादी को दोनों डोज का टीका लग चुका है।
दुनिया में ओमिक्रोन संक्रमण की स्थिति पर नजर रखने वाले स्वास्थ्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि ओमिक्रोन के कारण उन देशों में ज्यादा मौतें देखने को मिली हैं, जहां टीकाकरण का कवरेज कम था। उदाहरण के तौर पर उन्होंने अमेरिका का उदाहरण दिया, जहां ओमिक्रोन वैरिएंट के कारण रिकार्ड संख्या में प्रतिदिन पांच लाख से अधिक नए मामले आ रहे हैं। अमेरिका में अभी तक 61 फीसद आबादी की टीकाकरण हुआ है। यहां प्रतिदिन औसतन लगभग 1800 लोगों की मौत हो रही है और मृत्युदर (सीएफआर-केस फैटिलिटी रेशियो) 1़54 है। जबकि फ्रांस में प्रतिदिन दो लाख से अधिक नए मामले हैं। फ्रांस में 80 फीसद आबादी का टीकाकरण होने के कारण औसतन प्रतिदिन 184 मौतें हो रही हैं और मृत्युदर 1़29 है।
उन्होंने कहा कि दुनिया के अन्य देशों में भी लगभग ऐसी ही स्थिति है। वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि भारत में अभी तक केवल 42 फीसद आबादी को दोनों डोज लगे हैं। लेकिन टीके के लिए उपयुक्त वयस्क आबादी में दोनों डोज 64 फीसद और एक डोज 90 फीसद को लग चुका है। भारत में लगे टीके दो तरह से ओमिक्रोन के खिलाफ रक्षा कवच बन सकते हैं। वैज्ञानिक अध्ययनों से यह साफ हो गया है कि टीका लगने या स्वाभाविक संक्रमण के बाद शरीर में थोड़ी बहुत एंटीबाडी औसतन नौ महीने तक बनी रहती है।