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वनाग्नि की ज्यादातर घटनाएं मानव जनित: डीएम

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जयन्त प्रतिनिधि।
चमोली। जिलाधिकारी स्वाति एस भदौरिया ने कहा कि वनाग्नि की ज्यादातर घटनाएं मानव जनित है, जिनको रोकने के लिए वन पंचायत स्तर पर गठित समितियों, महिला एवं युवक मंगल दलों को सक्रिय भूमिका निभानी होगी। उन्होंने वनाग्नि दुर्घटनाओं को रोकने के लिए फायर सीजन से पहले ग्राम समितियों को सक्रिय करने, संवेदनशील और अति संवेदनशील क्षेत्रों में पिरूल घास को साफ कर फायर लाईन बनाने, फायर सीजन में पर्याप्त संख्या में फायर वाचर एवं ग्राम प्रहरी की तैनाती सुनिश्चित करने, विद्यालयों व न्याय पंचायत स्तर पर लोगों को जागरूक करने के निर्देश वन विभाग के अधिकारियों को दिए।
जिलाधिकारी स्वाति एस भदौरिया ने सोमवार को क्लेक्ट्रेट सभागार में जिला स्तरीय वनाग्नि सुरक्षा अनुश्रवण समिति की बैठक लेते हुए वन विभाग को वनाग्नि की रोकथाम के लिए पूरी तैयारी रखने, लोगों को जागरूक करने एवं वनाग्नि के दौरान सभी विभागों को समन्वय बनाकर कार्य करने के निर्देश दिए। उन्होंने वनों में आग लगाने वाले असामाजिक तत्वों के खिलाफ नामजद प्राथमिकी दर्ज कराते हुए कड़ी कार्यवाही करने को कहा। जिलाधिकारी ने कहा कि वर्ष 2019 में वनाग्नि की 46 घटनाएं तथा वर्ष 2020 में लॉकडॉउन के कारण केवल 6 घटनाएं हुई। इससे साफ जाहिर है कि अधिकतर वनाग्नि की घटनाएं मानव जनित है। उन्होंने कहा कि कोई भी व्यक्ति, महिला व युवक मंगल दल जो वनों की आग बुझाने व जागरूकता कार्यक्रमों में अच्छा सहयोग करते है उनको चिन्हित कर आकर्षक पुरस्कार से सम्मानित किया जाए। साथ ही फायर सीजन में जिस ग्राम पंचायत में वनाग्ति की एक भी घटना नहीं होगी उन ग्राम ंपंचायतों को भी पुरस्कृत करें। जिलाधिकारी ने कहा कि पिछले 2-3 सालों में जहां पर भी वनाग्नि की अधिक घटनाएं हुई है वहां पर फरवरी से पहले मॉकड्रिल कराना सुनिश्चित करें। साथ ही ब्लाक एवं ग्राम पंचायत स्तर पर होनी वाली सभी बैठके 15 फरवरी से पहले आयोजित की जाए और इसमें समिति के सदस्यों के अलावा सामाजिक कार्यकर्ताओं व अधिक से अधिक स्थानीय लोगों को शामिल किया जाए। न्याय पंचायतों में राजस्व टीम के माध्यम से चल रही म्यूटेशन की कार्यवाही के दौरान भी लोगों को वनाग्नि की रोकथाम हेतु जागरूक करें। इस अवसर पर पुलिस अधीक्षक यशवंत सिंह चैहान, डीएफओ आशुतोष सिंह, जिला शिक्षा अधिकारी आशुतोष भंडारी, जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी एनके जोशी सहित सामाजिक कार्यकर्ता मुरारी लाल, बलवंत सिंह बिष्ट, दरवान सिंह, वन विभाग के अन्य अधिकारी व कर्मचारी मौजूद थे।

पिरूल से बिजली उत्पादन हेतु प्रस्ताव भी उपलब्ध कराये
जिलाधिकारी ने वन विभाग के अधिकारियों को पिरूल से बिजली उत्पादन हेतु प्रस्ताव भी उपलब्ध कराने के निर्देश दिए। साथ ही चीड़ की पत्ती व कोन से सुन्दर क्राफ्ट तैयार करने हेतु वर्कशॉप आयोजित कर अधिक से अधिक लोगों प्रशिक्षत करने की बात कही। उन्होंने कहा कि चीड़ की पत्ती व कोन से सुन्दर क्राफ्ट बनाने से जहां लोगों को अच्छी आमदनी होगी वही वनाग्नि घटनाओं को रोकने में भी मदद मिलेगी। वर्कशॉप के आयोजन हेतु वन प्रभाग को यदि धनराशि की आवश्यकता है तो शीघ्र इसकी डिमांड उपलब्ध करें।

विभागों को समन्वय बनाकर कार्य करने को कहा
जिलाधिकारी ने फायर सीजन के दौरान वनाग्नि को रोकने के लिए सभी विभागों को आपसी समन्वय बनाकर कार्य करने के निर्देश भी दिए। उन्होंने वन क्षेत्राधिकारियों को सभी अधिकारियों, वन पंचायत सरपंचों एवं ग्राम प्रहरी के फोन नंबर अपडेट रखने व निर्धारित प्रारूप में समय से वनाग्नि दुर्घटनाओं की जानकारी प्रसारित कराने को कहा, ताकि आग लगने पर बुझाने की त्वरित कार्यवाही की जा सके। वन क्षेत्राधिकारियों को फायर सीजन के लिए जरूरी सामान व उपकरणों की उपलब्धता भी सुनिश्चित करने को कहा।

पिछले वर्ष वनाग्नि की 6 घटनाएं हुई
बद्रीनाथ वन प्रभाग के उप वन संरक्षक आशुतोष सिंह ने बताया कि चमोली जनपद में 506094.473 हैक्टेयर वन क्षेत्र है। इसमें से 78539.87 हैक्टेयर संवेदनशील जबकि 77479.28 हैक्टेयर वन क्षेत्र अति संवेदनशील है। पिछले वर्ष जिले में वनाग्नि की 6 घटनाएं हुई थी जिसमें 11.50 है0 वन क्षेत्र प्रभावित हुआ। उन्होंने कहा कि फायर सीजन में सरफेस फायर, ग्राउंड फायर तथा क्राउन फायर से वनो को अत्यधिक नुकसान होता है। जिले में अधिक वन क्षेत्र, वनों का दुर्गम क्षेत्रों में स्थित होने एवं मानव संसाधनों के अभाव के कारण वनाग्नि की रोकथाम में व्यावहारिक कठिनाई रहती है। वनाग्नि की रोकथाम के लिए 103 क्रू-स्टेशन की स्थापना की गई है जिसमें फायर वाचरों की तैनाती की जाएगी। उन्होंने सभी विभागों से अपने अधीनस्थों को वनाग्नि के प्रति जन जागरूकता एवं अग्नि शमन में वन कर्मियों को सहयोग करने की अपील की।

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