देश-विदेश

विकास दुबे केस : 15 सरकारी कर्मचारी पुलिस के रडार पर

Spread the love
Backup_of_Backup_of_add

कानपुर , एजेंसी। विकास दुबे की संपत्तियों से लेकर सरकारी कर्मचारियों की भी भूमिका कठघरे में है। आपराधिक मामलों की जांच में सरकारी कर्मचारी या तो वादी या फिर गवाह रहे हैं। पुराने मामले खंगाले गए तो पता चला कि ज्यादातर गवाही देने नहीं आए या फिर शिकायत वापस ले ली। इस तरह के 15 सरकारी कर्मचारी पुलिस की जांच के दायरे में हैं। इनकी अलग से रिपोर्ट तैयार की जा रही है।
विकास के खिलाफ 64 ऐसे मामले दर्ज हैं जिसमें वह सीधे तौर पर मुख्य आरोपित था। इसी तरह से बहुत से मामले ऐसे हैं जिसमें मुख्य आरोपित दूसरा था मगर विकास दुबे उसमें षड्यंत्र में शामिल रहा था। एसआईटी और न्यायिक जांच कमेटी की अब तक की जांच में यह तथ्य सामने आए हैं जिसमें विकास दुबे के आपराधिक मामलों में गवाही देने के लिए लोग नहीं आए या फिर मुकर गए। पुलिस सूत्र बताते हैं कि 15 सरकारी कर्मचारी चिन्हित हुए हैं जो कि विकास दुबे के खिलाफ अपराधिक मामलों में गवाह थे। मगर वह गवाही देने या तो पहुंचे नहीं या फिर मुकर गए। पुलिस के अनुसार ऐसे कर्मचारियों की सूची। उनके केस की डीटेल आदि की रिपोर्ट तैयार करा ली गई है। वह एसआईटी समेत न्यायिक जांच कमेटी को सौंप दिया जाएगा।

क्यों गवाही में किया खेल इस पूरे प्रोसेस से कमेटी यह जानना चाहती है कि आखिरकार सरकारी कर्मचारी क्यों गवाही देने नहीं पहुंचे या फिर मुकर गए। उस दौरान उनके ऊपर ऐसा कौन सा दवाब था जिसके चलते यह काम किया गया। जय के साथ अवैध कारोबार में लगे 16 पुलिस कर्मियों समेत 32 की सूची सौंपी
कुख्यात विकास के खास जय बाजपेई की अवैध सम्पत्तियों को लेकर ईडी ने जांच शुरू कर दी है। ईडी दफ्तर में पहुंचे एडवोकेट सौरभ भदौरिया ने अपने बयान दर्ज कराए। इस दौरान ईडी ने कई सूचनाएं लीं। अधिकारियों ने यह भी जानकारी दी कि जय ने खुद को बचाने के लिए अपराधिक मामलों में दर्ज रिपोर्ट में पिता का नाम गलत दर्ज कराया है। भदौरिया ने ईडी को जय से कारोबारी रिश्ता रखने वाले और उसकी मदद करने वाले व्यापारियों, सफेदपोश और पुलिसकर्मियों के नाम भी दिए। इसमें 16 पुलिस कर्मचारी हैं व 16 में नेता, व्यापारी और उसके भाइयों के नाम शामिल हैं ।
सौरभ भदौरिया सुबह दस बजे लखनऊ स्थित प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के दफ्तर पहुंचे। उन्होंने जय के खिलाफ दर्ज एफआईआर समेत अन्य दस्तावेजों की कपी सौंपी। ईडी के अधिकारियों ने एडवोकेट को बताया कि सन 2010 से 2016 के बीच जो अपराधिक मामले दर्ज हुए उनमें जय के पिता का नाम बब्बू बाजपेई लिखा हुआ है। जबकि उनका असली नाम लक्ष्मीकांत बाजपेई है। ईडी के अधिकारियों ने एडवोकेट को बताया कि ऐसा जय ने खुद को बचाने के लिए किया है। इसके बाद एडवोकेट ने जय और उसके गुर्गों की 17 सम्पत्तियों की सूची ईडी को सौंप दी। जिनमें सरकार को धोखे में रखकर राजस्व की हानि की गई।
कुछ सालों में करोड़पति कैसे हुआ जय
ईडी के अधिकारियों ने एडवोकेट से पूछा कि जय इतने कम समय में करोड़पति कैसे बन गया। इस पर एडवोकेट ने 17 नामों की सूची सौंपी जिसमें जय के भाई समेत वह सभी सफेदपोश शामिल हैं। जिन्होंने जय के काले धंधे में पैसा लगाकर उसे करोड़पति बनने में मदद की।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!