विश्व प्रसिद्घ गंगोत्री धाम के कपाट शीतकाल के लिए बंद, अब मुखवा में होंगे दर्शन
उत्तरकाशी। विश्व प्रसिद्घ गंगोत्री धाम के कपाट रविवार दोपहर को विधि विधान से शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए हैं। मां गंगा की उत्सव डोली शीतकालीन पड़ाव मुखीमठ (मुखवा) के लिए रवाना हुई, जो सोमवार को मुखवा पहुंचेगी। गंगोत्री के कपाट बंद होने के बाद अब देश-विदेश के श्रद्घालु मां गंगा के दर्शन उनके शीतकालीन प्रवास मुखवा में कर सकेंगे। वहीं, यमुनोत्री धाम के कपाट सोमवार दोपहर 12़25 बजे शीतकाल के लिए बंद होंगे।
अन्नकूट पर्व के शुभ मुहूर्त पर गंगोत्री धाम में सुबह साढ़े बजे उदय बेला पर मां गंगा के मुकुट को उतारा गया, जिसके बाद भोगमूर्ति डोली में विराजित की गई। इस बीच श्रद्घालुओं नेमां गंगा की भोग मूर्ति के दर्शन किए। अमृत बेला, अभिजीत मुहूर्त पर ठीक दोपहर 12 बजकर 15 मिनट पर मां गंगा की डोली गंगोत्री मंदिर के अंदर से परिसर में लाई गई। इस दौरान पूरा परिसर जयकारों से गूंज उठा, जिसके बाद कपाट बंद होने की प्रक्रिया शुरू हुई।
इस दौरान तीर्थ पुरोहितों ने विशेष पूजा और गंगा लहरी का पाठ किया। 9वीं बिहार रेजिमेंट के जवानों के बैंड की धुन और परंपरागत ढोल दमाऊं की थाप के साथ तीर्थ पुरोहित गंगा की डोली को लेकर शीतकालीन प्रवास मुखवा गांव के लिए पैदलरवाना हुए। रात्रि विश्राम के लिए गंगा जी की डोली मुखवा से चार किमी पहले चंडी के देवी के मंदिर में पहुंची। यह मंदिर एक शिला के ऊपर है।
मान्यता है कि चंड और मुंड नाम के दंत्यों का वध कर माता चंडी ने इसी शिला के नीचे दबा दिए थे। सोमवार सुबह गंगा जी की डोली चंडी माता मंदिर से मुखीमठ स्थित गंगा मंदिर में पहुंचेगी। कपाट बंद होने के अवसर पर कुपड़ा गांव से शेषनाग देवता की डोली सहित कई गांवों से देव डोलियां गंगोत्री पहुँची थी। कपाट बंद होने के दौरान गंगोत्री विधायक गोपाल रावत, गंगोत्री, पूर्व विधायक विजयपाल सजवाण, मंदिरसमिति के अध्यक्ष सुरेश सेमवाल, सचिव दीपक सेमवाल, सह सचिव राजेश सेमवाल, पूर्व जिला पंचायत सदस्य कुलदीप बिष्ट, गंगोत्री व्यापार मंडल के पूर्व अध्यक्ष सतेन्द्र सेमवाल आदि मौजूद रहे।