स्वयं सेवियों ने की गधेरों और नोलों की सफाई
जयन्त प्रतिनिधि।
थलीसैंण : वर्तमान में संपूर्ण संसार में जलीय प्रदूषण सबसे अधिक हो रहा है। जिसके चलते देश की पौराणिक नदियां तथा उनकी सहायक नदियां दिन-प्रतिदिन दूषित हो रही है। जिससे मानव जीवन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। यदि समय रहते इस ओर ध्यान नहीं दिया गया तो भंयकर परिणाम झेलने पड़ सकते है।
उक्त वाक्य वीर चंद्र सिंह गढ़वाली राजकीय इंटर कॉलेज मासौ थलीसैंण पौड़ी गढ़वाल के प्रभारी प्रधानाचार्य सुरेश लाल आर्य ने एनएसएस के एक दिवसीय नमामि गंगे, स्पर्श गंगा कार्यक्रम के दौरान कही। वहीं राजनीतिक विज्ञान के प्रवक्ता मनोज सेमवाल ने जलीय प्रदूषण के बारे में बताते हुए कहा कि लोगों द्वारा पॉलिथीन तथा अन्य जल को दूषित करने वाली चीजों को नदी, गधेरा तथा नोलो में फेंकने से जल दूषित हो रहा है। साथ ही उसमें रहने वाले जीवों पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। उधर कार्यक्रम अधिकारी रोहित चौधरी ने स्वयं सेवियों को जलीय प्रदूषण की जानकारी देते हुए कहा कि विश्व में सबसे ज्यादा कचरा समुद्र और नदियों में फेंका जा रहा है, जिससे दोनों के स्वरूप में दिन-प्रतिदिन परिवर्तन देखा जा रहा है। भारत सरकार द्वारा देश की पौराणिक नदियों व उनकी सहायक नदियों को स्वच्छ रखने के लिए उक्त कार्यक्रम चलाया जा रहा है। इससे पूर्व स्वयं सेवियों द्वारा क्षेत्र के गधेरों, नोलों की सफाई करो जैविक और अजैविक कचरे को अलग कर नष्ट किया गया। इस अवसर पर एनएसएस सहायक कार्यक्रम अधिकारी श्रीमती आरती बिष्ट, प्रकाश चंद्र आदि उपस्थित थे।