ऐसी भी क्या मजबूरी जो नहीं सुधर रहा कोटद्वार का ड्रेनेज सिस्टम
-जरा सी बारिश से नदियों में तब्दील हो जाती हैं नगर की सड़कें
-पैदल चलना तो दूर वाहनों को भी बना रहता है हादसे का खतरा
जयन्त प्रतिनिधि।
कोटद्वार : नगर निगम की उदासीन कार्यप्रणाली व लापरवाही का आलम देखना है तो बारिश के दौरान कोटद्वार की सड़कों पर चले आइए। यहां आते ही आपको पता चलेगा कि कैसे जरा सी बारिश से कोटद्वार की सड़कें नदी में तब्दील हो जाती हैं। इस दौरान इन सड़कों पर पैदल चलना तो दूर वाहनों के भी हादसे का डर बना रहता है। ऐसा नहीं है कि नगर निगम प्रशासन इस समस्या को नहीं जानता या फिर वो खुद इस समस्या से नहीं जूझता, लेकिन न जाने ऐसी कौन सी मजबूरी है जो निगम प्रशासन कोटद्वार के ड्रेनेज सिस्टम को सुधारने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा है।
बरसात सिर पर है और हर साल की तरह इस साल भी नगर निगम प्रशासन कोटद्वार के ड्रेनेज सिस्टम को लेकर गंभीर नजर नहीं आ रहा है। जिससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि इस बरसात भी लोगों को कोटद्वार की सड़कों पर घुटनों तक पानी से गुजरने को मजबूर होना पड़ेगा। कई बार स्थानीय लोग नगर निगम से इस संबंध में शिकायत कर चुके हैं, लेकिन निगम प्रशासन है कि लोगों की समस्याओं को गंभीरता से लेने को तैयार ही नहीं है। बारिश के दौरान नगर के प्रमुख चौक झंडाचौक, बदरीनाथ मार्ग पर बेस अस्पताल से लेकर तहसील व कोतवाली समेत नगर निगम कार्यालय तक सड़क पानी से लबालब भर जाती है। यही हाल स्टेशन रोड व नगर की गलियों का रहता है। गत बुधवार भी शाम के समय हुई झमाझम बारिश के चलते सड़कें नदी में तब्दील हो गईं। जिससे पैदल चलने वालों को तो आवाजाही में परेशानी हुई ही साथ ही दुपहिया वाहनों को भी हादसे का डर बना रहा।
जिन नालियों में बहना था बारिश का पानी वहां हो गया अतिक्रमण
ऐसा नहीं है कि बारिश के पानी की निकासी के लिए नगर में नालियों का निर्माण नहीं किया गया, लेकिन आज वह नालियां ढूंढने से भी नहीं मिलती हैं। दरअसल नालियों पर पक्के व कच्चे अतिक्रमण कर दिए गए हैं, जिससे इन नालियों में बहने वाला बरसाती पानी अब सड़कों पर बहने लगा है। निगम यह सब जानता है, लेकिन न जाने क्यों इन अतिक्रमणकारियों पर कार्रवाई से बच रहा है।
नालियां गंदगी से जाम
वहीं, कुछ नालियां ऐसी हैं जो गंदगी से जाम हैं। यह भी एक कारण है जिससे नालियां चोक हो जाती हैं और पानी सड़कों पर बहने लगता है। निगम प्रशासन साफ-सफाई के तो लाख दावे करता है, लेकिन इन नालियों की सफाई करने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा है। वहीं, जनप्रतिनिधि भी इस मुद्दे को गंभीरता से नहीं उठाते हैं, जिससे लोगों की समस्याओं का समाधान नहीं हो पा रहा है।