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नए कानून से पीड़ित को अधिक अधिकार के साथ जल्द मिलेगा न्याय

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01 जुलाई 2024 से लागू होगें तीन नए कानून
-मुख्यमंत्री ने किया उत्तराखण्ड पुलिस हस्तपुस्तिका का विमोचन
जयन्त प्रतिनिधि।
देहरादून : 01 जुलाई 2024 से लागू होने वाले तीन नए कानून भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता एवं भारतीय साक्ष्य अधिनियम के संबंध में पुलिस महानिदेशक अभिनव कुमार द्वारा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के समक्ष प्रस्तुतिकरण दिया गया। प्रस्तुतिकरण में विस्तार पूर्वक नए कानूनों की आवश्यकता, इन्हें बनाने हेतु किये गये प्रयासों और इनकी विशेषताओं के बारे में जानकारी दी गई। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने उत्तराखण्ड पुलिस हस्तपुस्तिका का विमोचन भी किया। पुलिस महानिदेशक ने बताया कि नए कानून पीड़ित को अधिक अधिकार प्रदान करने के साथ ही शीघ्र न्याय, आपराधिक न्याय विंग प्रणाली के सभी विंग को अधिक जवाबदेह बनाने पर जोर देता है। राज्य में नए कानूनों को लागू करने के लिए 6 कमेटियों का गठन किया गया है जिनमें जनशक्ति, प्रशिक्षण, इन्फ्रास्ट्रक्चर, सीसीटीएनएस, राज्य में लागू एक्ट में नये कानून के अन्तर्गत परिवर्तन व जागरूक समिति शामिल हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि नये कानूनों में जो प्राविधान किये गये हैं, इन कानूनों के लागू होने के बाद प्रदेश में इनका सही तरीके से क्रियान्वयन सुनिश्चित किया जाए। इन कानूनों की जानकारी के लिए प्रशिक्षण की पर्याप्त व्यवस्था की जाए और आम जन को इन कानूनों की जानकारी हो इसके लिए विभिन्न माध्यमों से कानूनों का प्रचार-प्रसार किया जायेगा। इनके प्रचार-प्रसार के लिए सूचना विभाग का सहयोग लिया जाए। पुलिस महानिदेशक द्वारा नये कानूनों की आवश्यकता के बारे में बताया गया। उन्होंने कहा कि पूर्व के कानून बहुत जटिल थे, जिसके कारण भारतीय नागरिकों को न्याय पाना एवं आवाज उठा पाना कठिन था। सहिंता का उद्देश्य ब्रिटिश शासन को बढ़ावा देना तथा भारतीय नागरिकों का दमन करना था। पूर्ववर्ती कानूनों के फलस्वरूप न्यायालय में लंबित मामलों की बड़ी संख्या, दोषसिद्धि की कम दर, पीड़ित की असंतुष्टि एवं अपराधी पर अपूर्ण कार्यवाही रहा। इसी के मद्देनजर नए कानूनों को बनाने की आवश्यकता महसूस की गई। 25 दिसंबर 2023 को नए आपराधिक कानूनों के बिल को राष्ट्रपति की स्वीकृति मिली। पुलिस महानिदेशक ने बताया कि नए कानूनों के लागू होने पर राज्य में लागू अधिनियमों में आवश्यक संशोधन प्रस्तावित हैं। जिनमें उत्तराखंड राज्य के कुल 434 स्थानीय अधिनियमों का अवलोकन कर 74 अधिनियमों में संशोधन के प्रस्ताव के अतिरिक्त उत्तर प्रदेश के 343 अधिनियमों का अवलोकन कर 116 अधिनियम मंस संशोधन के प्रस्ताव एवं केंद्र के कुल 228 अधिनियमों का अवलोकन कर संशोधन का प्रस्ताव है। उन्होंने जानकारी दी कि भारतीय न्याय संहिता कि कुछ धाराओं में बदलाव किये गये हैं। इस अवसर पर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी, अपर मुख्य सचिव आनन्द बद्र्धन, प्रमुख सचिव आर.के सुधांशु, सचिव दिलीप जावलकर, चन्द्रेश यादव, एडीजी अमित कुमार सिन्हा, ए.पी. अंशुमन, आईजी विम्मी सचदेवा, केवल खुराना, विमला गुंज्याल, विशेष सचिव रिद्धिम अग्रवाल एवं पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।

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