उत्तराखंड

श्वन आधारित संसाधन और आजीविका विकल्पश् विषय पर हुई कार्यशाला

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संक्षरण के लिए वनों को आजीविका से जोड़ना जरूरी रू प्रो़ मैखुरी
अल्मोड़ा। जीबी पंत राष्ट्रीय हिमालयी पर्यावरण संस्थान अल्मोड़ा में गुरुवार सायं तक श्वन आधारित संसाधन और आजीविका विकल्पश् विषयक राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला में 25 संस्थाओं के प्रतिनिधियों समेत तमाम विशेषज्ञों ने भाग लिया। कार्यशाला का उद्देश्य, उत्तराखंड पर केंद्रित भारतीय हिमालयी क्षेत्र में वन आधारित संसाधनों पर ज्ञान की वर्तमान स्थिति पर विचार-विमर्श करना, स्थानीय समुदायों की आय और आजीविका में वन संसाधनों की भूमिका को समझना, वन संसाधनों को आजीविका के स्रोत के रूप में उपयोग करके संरक्षण और प्रबंधन के लिए रणनीति विकसित करना था। मुख्य अतिथि एचएनबी गढ़वाल विवि के ड़ आरके मैखुरी ने कहा कि वन्य संसाधनों का सतत उपयोग होना चाहिए। ताकि नई तकनीक से इनका मूल्य संवर्धन किया जा सके। साथ ही उन्होंने उत्पाद का कस्ट बैनिफिट ऐनालिसिस और संसाधन उपलब्धता पर जोर दिया। कहा कि वनों के संरक्षण के लिए वन आधारित उत्पादों को आजीविका से जोड़ना जरूरी है। उद्घाटन सत्र में जीबी पंत संस्थान के निदेशक प्रो़ सुनील नौटियाल ने भी तमाम जानकारियां दीं। वरिष्ठ वैज्ञानिक ड़ आईडी भट्ट ने प्रतिभागियों को कार्यक्रम की रूपरेखा और गतिविधियों की विस्तृत जानकारी दी। पहले तकनीकी सत्र की अध्यक्षता ड. जीत राम, प्रमुख, वानिकी विभाग कुमाऊं विवि ने की। कार्यशाला आयोजक जीबी पंत संस्थान, उत्तराखंड राज्य विज्ञान और प्रौद्योगिकी परिषद देहरादून, नेशनल मिशन फर सस्टेनिंग द हिमालयन ईको सिस्टम (निमशी) टास्क फोर्स-3, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग भारत सरकार के सहयोग से हुई।
ये रहे मौजूद- ड़ निरंजन रय असम, ड़ मंजूर ए शाह, केयू श्रीनगर, ड़ एलएम तिवारी कुविवि नैनीताल, ड़ आशुतोष मिश्रा, यूकोस्ट, ड़ सुमित पुरोहित, यूसीबी, ड. जीसीएस नेगी, डीएस मर्तोलिया, रजनीश जैन अवनि, पंकज तिवारी, राजेंद्र पंत, पूरन पांडे, राजेंद्र मठपाल, मनोज उपाध्याय, दीप चंद बिष्ट, ड़ शशि उपाध्याय, जेपी मैथानी, द्वारिका प्रसाद, जगदंबा प्रसाद, गजेन्द्र पाठक, ड. जेसी कुनियाल, ड़ सतीश चन्द्र आर्य, ड़ आशीष पाण्डेय, ड़ विक्रम नेगी, ड़ रवींद्र जोशी आदि ने भाग लेकर तमाम जानकारियां दीं।

 

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