विश्व राष्ट्रीय व्यावसायिक सुरक्षा और स्वास्थ्य दिवस
ऋषिकेश। आज विश्व राष्ट्रीय व्यावसायिक सुरक्षा और स्वास्थ्य दिवस के अवसर पर परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि ‘‘कोविड-19 महामारी ने राष्ट्रों, सरकारों, नियोक्ताओं, श्रमिकों और सामान्य आबादी को अत्यंत प्रभावित किया है। भारत में वर्तमान स्थिति हृदयविदारक है। कोरोना वायरस का पूरी दुनिया के कार्यालयों पर बड़ा भारी प्रभाव पड़ा है। कार्यस्थलों पर स्वास्थ्य की सुरक्षा एक महत्वपूर्ण विषय है, इस महामारी के दौरान अक्सर ऐसा देखने में आया कि अगर कोई एक व्यक्ति कोरोना वायरस से प्रभावित हुआ तो उसके साथ कई बार पूरे कार्यालय के लोग भी प्रभावित हुये हैं इसलिये हमें व्यावसायिक स्वास्थ्य एवं सुरक्षा प्रणालियों को मजबूत बनाने की आवश्यकता है ताकि भविष्य में इस तरह के संकटों का सामना न करना पड़े। स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि कोरोना महामारी के कारण पूरी दुनिया ने जिस दर्द, डर और सिसकियों को महसूस किया और कर रही है, वह सचमुच हृदयविदारक है। इस महामारी ने कार्यस्थल में वायरस के संचरण के जोखिम को बढ़ा दिया है, इसलिये हम सभी को अपने कार्य करने के तरीकों में बदलाव लाने की जरूरत है, हम सभी को ऑनलाइन प्लेटफार्म के माध्यमों पर अपनी व्यापक निर्भरता को भी बढ़ाना होगा। स्वामी जी ने देश के युवाओं का आह्वान करते हुये कहा कि देश में ऑनलाइन प्रोफेशनल फ्रेमवर्क तैयार करने और उसे स्थापित करने में सहयोग प्रदान करें ताकि राष्ट्र में ऑनलाइन कार्य प्रणालियों को और अधिक मजबूत बनाया जा सके। सुरक्षित और स्वस्थ कार्य प्रणालियों को विकसित करने के साथ-साथ मानवीय गुणों, आध्यत्मिक मूल्यों और व्यवहार में शुचिता का होना भी नितांत आवश्यक है। आज चारों ओर जो वातावरण निर्मित है उसके शमन के लिये प्रोफेशनल कार्यप्रणाली के साथ मानवता का होना और भी बहुत ज्यादा जरूरी है। आपसी करूणा, मानवीय सद्व्यवहार और एकजुटता के भरोसे ही कोरोना से जंग लड़ पायेंगे। स्वामी जी ने कहा कि मानवीय मूल्यों तथा आस्था, सहानुभूति, ईमानदारी, दया, प्रेम, संयम आदि की प्रगति ही मानव को कल्याणकारी मार्ग पर ले जा सकती है। पृथ्वी पर मानवता के विकास हेतु मानवीय मूल्यों का होना बहुत जरूरी है। जिस प्रकार एक अच्छा जीवन जीने हेतु अच्छे स्वास्थ्य का होना बहुत जरूरी है उसी प्रकार एक अच्छे समाज के निर्माण के लिये मानवीय गुणोें का होना नितांत आवश्यक है। जरूरी नहीं कि मानवीय गुण सभी लोगों में विकसित हों परन्तु यह जरूरी है कि कम से कम मेरे पास मानवता और मानवीय गुणों का भण्डार हो; मैं स्वयं उच्च मानवीय भावनाओं और उद्देश्यों के साथ लोगों के बीच पहुचूँ। मानवीय गुणों से युक्त व्यक्तित्व न केवल किसी राष्ट्र की बल्कि पूरी समष्टि की आत्मा होती है, उनका संदेश न केवल एक युग के लिये बल्कि युगों-युगों तक जनसमुदाय का मार्गदर्शन करता है।