योग को शारीरिक शिक्षा के उपविषय के रूप में शामिल किया जाय
जयन्त प्रतिनिधि।
कोटद्वार। अखिल भारतीय योग शिक्षक महासंघ ने नई शिक्षा नीति में योग विषय को माध्यमिक व उच्चतर माध्यमिक विद्यालयों में शारीरिक शिक्षा के उपविषय व कौशल विषय के स्थान पर एक स्थाई विषय के रूप में शामिल करने की मांग की है।
महासंघ से जुड़े योगाचार्य संतोष बलोदी, संदीप रावत ने प्रदेश के काबीना मंत्री को भेजे पत्र में कहा कि योग भारतीय संस्कृति का एक अभिन्न अंग है, अपितु विज्ञान का सबसे उत्तम विषय है, जो न केवल शारीरिक बल्कि मानसिक, सामाजिक और आध्यात्मिक स्तर पर भी कार्य करता है। उन्होंने कहा कि वर्ष 2014 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के सकारात्मक प्रयासों द्वारा संयुक्त राष्ट्र की आम सभा में महज 90 दिन के अंदर 170 देशों द्वारा मंजूरी मिल गई थी। भारत के प्रत्येक विद्यालयों में भी योग शिक्षा पर बल देने का प्रयास किया जा रहा है। वर्तमान में यह अत्यंत महत्वपूर्ण है कि विद्यार्थी के शारीरिक स्वास्थ्य के साथ उसके प्राणिक, मानसिक, बौद्धिक एवं आध्यात्मिक विकास पर ध्यान दिया जाय। उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति में योग विषय को माध्यमिक व उच्चतर माध्यमिक विद्यालयों में शारीरिक शिक्षा के उपविषय व कौशल विषय के स्थान पर एक स्थाई विषय के रूप में शामिल कर योग के सही ज्ञान को छात्र-छात्राओं तक पहुंचाया जा सकता है। इससे छात्रों का सर्वांगीण विकास होगा। नई शिक्षा प्रणाली में योग को स्थाई रूप मिलने से जिन विद्यार्थियों ने भविष्य में एक योग शिक्षक बनने का सपना देखा है उनको रोजगार के अवसर भी प्रदान होगें।