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एक फोन नंबर से बने 11 अफगानियों के आधार कार्डे, नेपाल में हुआ खुलासा

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देहरादून(आरएनएस)। भारत में आधार कार्ड बनाना कितना आसान है इस बात की गवाही नेपाल में 25 अक्टूबर को पकड़े गए सभी छह संदिग्ध अफगानियों के आधार कार्ड से मिलती है1 इनके आधार कार्ड पूरी तरह से सही हैं और दिल्ली में ही बने हैं। सभी कार्ड एक जुलाई को एक ही दिन डाउनलोड किए गए। इनके जारी होने की तिथि भी 26 जून समान ही है। इतना ही नहीं, इन सभी का भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआइडीएआइ) में एक ही फोन नंबर भी दर्ज है। इस जानकारी के बाद देश की खुफिया एजेंसियों में हड़कम्घ्प मचा हुआ है।
बताते चलें कि भारतीय सीमा सोनौली के रास्ते नेपाल पहुंचे 11 अफगानी नागरिकों को काठमांडू के सिनामंगल से गिरफ्तार किया गया है। उनके पास से नकली भारतीय आधार कार्ड बरामद हुआ है। इस सूचना से भारत-नेपाल सीमा पर तैनात तमाम एजेंसियों के कान खड़े हो गए हैं। उन्होंने अपने स्तर पर मामले की जांच शुरू कर दी है।
नेपाल पुलिस के डीआईजी धीरज प्रताप सिंह के मुताबिक नेपाल पुलिस के केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीआईबी) ने सोमवार सुबह उन्हें सिनामंगल के एक घर से गिरफ्तार किया था। सीआईबी के अनुसार गिरफ्तार किए गए छह लोगों के पास से भारत के आधार कार्ड भी बरामद किए गए हैं। पुलिस ने बताया कि बरामद भारतीय आधार कार्ड फर्जी था। अफगानिस्तान में तालिबान के सत्ता में आने के बाद यह सभी भाग गए थे और भारत के रास्ते नेपाल में प्रवेश कर गए।
जांच में जो बातें सामने आई है उसके मुताबिक यह सभी अफगानी रूपन्देही में नेपाल-भारत सीमा पर बेलहिया से नेपाल में प्रवेश किए पाए गए थे। यह सीमा सोनौली से सटे है। अफगानियों की गिरफ्तारी के समय स्थानीय जांच एजेंसियों ने उनके आधार कार्ड को फर्जी बता अपनी लापरवाही पर पर्दा डालने की कोशिश की थी। लेकिन आइबी के साथ ही नेपाल गृह मंत्रालय की रिपोर्ट ने शनिवार को स्थिति स्पष्ट कर दी। यूआइडीएआइ ने सभी के आधार कार्ड नंबर को प्रमाणित कर दिया।
शुरुआती जांच में पता चला है कि संदिग्ध अफगानी 14 अप्रैल 2021 को अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन की ओर से सेना की वापसी के ऐलान से पहले से ही दिल्ली में रह रहे थे। 15 अगस्त को तालिबान के काबुल पर कब्जे के बाद से ही वे यहां सक्रिय हो गये। सुरक्षा एजेंसियों के कसते शिकंजे के कारण उन्होंने आधार कार्ड की मदद से नेपाल पहुंच वहीं बसने की योजना बना ली। लेकिन वहां भी पकड़ लिए गए।
जांच में पता चला है कि सभी दिल्ली के लिटिल काबुल, भोगल व ग्रेटर नोएड में लंबे समय से रह रहे थे। गतिविधियां संदिग्ध होने पर सुरक्षा एजेंसियों के निशाने पर आ गए थे। 25 अक्टूबर को काठमांडू से हिरासत में लिए गए 11 अफगानियों में से छह के पास आधार कार्ड मिलने के बाद नेपाली केंद्रीय अनुसंधान ब्यूरो (सीआइबी) के डीआइजी धीरज प्रताप सिंह ने कहा था सभी आधार कार्ड फर्जी हैं। लेकिन उनका दावा गलत साबित हुआ। ऐसे में अब उनकी भी मुश्किल बढ़ सकती है। तब उन्होंने यह भी दावा किया था कि अफगानियों ने भारत के रास्ते सोनौली नाका होकर नेपाल में प्रवेश किया है।
सुरक्षा एजेंसियों के अनुसार भारत में करीब 21 हजार अफगानी शरणार्थी हैं। इनमें से अधिकतर श्रीलंका, अमेरिका व कनाडा में बसने की सोच रहे हैं। लेकिन सिर्फ सात हजार के पास ही संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी उच्चायुक्त (यूएनएचसीआर) का रिफ्यूजी कार्ड है। ऐसे में वे नेपाल के रास्ते दूसरे देशों में जाना चाहते हैं। इसके लिए उनकी कोशिश अवैध दस्तावेजों की मदद से नेपाल पहुंचने की है। लेकिन 25 अक्टूबर को पकड़े गए छह अफगानियों का मामला पूरी तरह संदिग्ध है। यही कारण है कि नेपाली सुरक्षा एजेंसियां सीमा पर अलर्ट हो गई हैं। उनकी नजर भारत-नेपाल मैत्री बस सेवा पर भी है।
पूरे मामले ने नेपाल से सटे सीमावर्ती जिलों की स्थानीय अभिसूचना इकाई (एलआइयू) पर भी सवाल खड़ा किया है। संदिग्ध अफगानी दिल्ली से नेपाल तक पहुंच गए। लेकिन किसी को भी इसकी जानकारी नहीं हुई। समय रहते आइबी ने सक्रियता दिखाते हुए नेपाल गृह मंत्रालय को सूचित कर उनकी गिरफ्तारी सुनिश्चित कराई।
गृह मंत्रालय नेपाल के प्रवक्ता फणींद्र मणि पोखरेल का कहना है कि पकड़े गए संदिग्ध अफगानियों के पास से भारतीय आधार कार्ड मिले हैं। ऐसे में अब बार्डर पर सुरक्षा जांच कड़ी कर दी गई है। घुसपैठियों को तत्काल गिरफ्तार करने का निर्देश दिया गया है।
क्या कहते हैं भारत-नेपाल संबंधों के जानकार
भारत-नेपाल सुरक्षा विशेषज्ञ बीएस रौतेला ने बताया कि ताजा हालात में नेपाल की खुली सीमा संवेदनशील हो गई है। वहां से घुसपैठ की प्रबल आशंका है। संदिग्ध अफगानियों की गिरफ्तारी सामान्य घटना नहीं है। भारत-नेपाल संबंधों के जानकार यशोदा श्रीवास्तव कहते हैं कि नेपाल में जिस तरह से रोहिंग्या की अवैध बस्ती बस गई है। उसी तरह संभव है कि आने वाले समय में अफगानी बस्ती भी बन जाये। इससे इन्कार नहीं कर सकते। यह भारत के लिए नई मुसीबत हो सकती है।

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