संपादकीय

डेंगू पर अभी से किलेबंदी का समय

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कोेरोना से जूझ रहे उत्तराखंड में संक्रमितों का आंकडा अब पांच सौ पर पहुंच गया है। सबसे बड़ी दिक्कत अब आने वाले दिनोंं में एक नई मुसीबत की चेतावनी है। एक तरफ तो कोरोना का आतंक तो वहीं दूसरी ओर अब डेंगू का भय भी सताने लगा है। हालंकि अभी तक डेंगू का कोई केस नजर नहीं आया है लेकिन उत्तराखंड के मैदानी क्षेत्रों में हमोशा से ही डेंगू एक मुसीबत बन कर सामने आया है। पूरा देश कोरोना से जूझ रहा है तो उत्तराखंड में भी कोरोना के आंकड़े ने पांच सौ के अंक को छू लिया है। यह आंकड़े बेहद गंभीर है और प्रवासियों के वापस लौटने के बाद से ही यह हालात हुए हैं। अधिकांश मामले क्वारंटीन के हैं लेकिन अब देहरादून में कुछ ऐसे मामले भी सामने आए हैं जो कि सामुदायिक कारणों से एक दूसरे में आए हैं। प्रदेश का स्वास्थ्य विभाग कोरोना से जूझ रहा है लेकिन विभाग ने ही अब डेंगू को लेकर भी अपनी तैयारियां शुरू कर दी हैं। मई जून से शुरू होने वाला डेंगू अक्टूबर तक लोगों को परेशान करता है। दिक्कत यह है कि स्वास्थ्य विभाग पहले से ही कोरोना को लेकर जीजान से जुटा हुआ है, जबकि प्रवासी उत्तराखंडियों के आने के बाद कोरोना संंक्रमितों की संख्या बढने से अस्पतालों का भी काम बढ गया है। ऐसी सूरत में यदि डेंगू के मामले आने लगे तो फिर व्यवस्था का बिगड़ना स्वाभाविक है। इसके लिए जरूरी है कि अभी से डेंगू को लेकर तैयारियों को पुख्ता किया जाए। कुछ स्थानों पर बारिश हो रही है जो कि पानी जमा होने का कारण बन सकता है, हालांकि स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों में अभी डेंगू का कोई मामला प्रकाश में नहीं आया है लेकिन इसके मायने यह नहीं कि डेंगू की दस्तक से हम बिलकुल ही निश्ंिचत हो जाए। एक तरफ कोरोना और दूसरी तरफ डेंगू। यह स्थिति वाकई बेहद चिंताजनक हो सकती है। सरकार एवं स्वास्थ्य विभाग का पूरा ध्यान वर्तमान में कोरोना से जूझने में है, लेकिन डेंगू भी सिर पर सवार हो गया तो फिर कोरोना योद्घा का भी इससे बचना मुश्किल हैं। गत वर्ष भी डेंगू को लेकर सरकार के प्रयास धरे के धरे रह गए थे। मरीजों को भर्ती करने में ही अस्पतालों के पसीने छूट गए थे जबकि जांच को लेकर भी सरकारी अस्पतालों की व्यवस्थाएं कोई बहुत संतोषजनक नहीं थी। कई-कई दिनोंं में जांच रिपोर्ट आ रही थी जिस कारण लोगों ने सरकारी अस्पतालों से किनारा कर निजी अस्पतालों में उपचार कर अपनी जान बचाई। कोरोना संक्रमण ने पहले से ही सरकार एवं स्वास्थ्य विभाग का पसीना निकाल रखा है, सोचिए डेंगू के सक्रिय होने पर कैसी स्थिति प्रदेश मेंं होने वाली है? फिलहाल तो पूरा ध्यान कोरोना के संक्रमण को रोकने का है, लेकिन संक्रमितों की संख्या पांच सौ तक पहुंच गयी है और अभी आने वाले कुछ महिनों में कोरोना के नष्ट होने की संभावनाएं भी नहीं हैं। ऐसी स्थिति में डेंगू का डंक सिर्फ अव्यवस्थाएं एवं परेशानियां पैदा करने वाला ही साबित होने वाला है। बेहतर यही होगा कि कोरोना से बचने के साथ-साथ ही अभी से डेंगू को लेकर एक ठोस नीति तैयार की जाए एवं जागरूकता का काम अभी से शुरू कर दिया जाए।

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