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गुलाम नबी आजाद ने छोड़ी कांग्रेस

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नई दिल्ली, एजेंसी। कांग्रेस के गहरे संकट के दौर में अब तक का सबसे बड़ा राजनीतिक झटका देते हुए दिग्गज नेता गुलाम नबी आजाद ने पार्टी छोड़ दी है। कांग्रेस से आजाद होने के लिए सोनिया गांधी को लिखे पांच पत्र के अपने विस्फोटक पत्र में गुलाम नबी ने शीर्ष नेतृत्व विशेषकर राहुल गांधी पर जबरदस्त सियासी हमला बोला है। कांग्रेस की खस्ता हालत के लिए राहुल को पूरी तरह जिम्मेदार ठहराते हुए कहा है कि उनके कमान संभालने के साथ ही पार्टी में सलाह मशविरे का ढांचा ध्वस्त हो गया।
चाटुकारों की मंडली संगठन चला रही है और उनके सुरक्षा गार्ड तथा पीए पार्टी के फैसले कर रहे हैं। यूपीए सरकार की तरह रिमोट कंट्रोल मडल से पार्टी को चलाया जा रहा है। गौरतलब है कि चिट्ठी में गुलाम नबी आजाद ने सात बार राहुल गांधी के नाम लिया और उनपर सियासी हमला किया।
अध्यादेश की प्रति फाड़ने की घटना से लेकर अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने के राहुल के कदमों को बचकाना करार देते हुए आजाद ने सोनिया गांधी पर भी सवाल उठाते हुए कहा है कि एक गैर-गंभीर व्यक्ति को पार्टी पर थोपने की कोशिशों का ही नतीजा है कि आज कांग्रेस राजनीतिक हाशिए पर चली गई है। आजाद ने कांग्रेस के मौजूदा संगठन चुनाव को लेकर भी नेतृत्व पर हमला करते हुए इसे ड्रामा करार दिया है। कांग्रेस नेताओं के पार्टी छोड़ने का सिलसिला बेशक लंबे अर्से से चल रहा है मगर गुलाम नबी आजाद का पार्टी से नाता तोड़ने का फैसला कांग्रेस के लिए अब तक का सबसे बड़ा झटका है।
खासकर इस लिहाज से कि धर्मनिरेक्ष राजनीतिक धारा की पैरोकारी करने वाली कांग्रेस के लिए आजाद अल्पसंख्यक समुदाय के उसके सबसे बड़े चेहरे थे। साथ ही गांधी परिवार से उनका तीन पीढिघ्यों का गहरा जुड़ाव भी था जिसका जिक्र आजाद ने अपने हंगामखेज पत्र में भी किया है। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को भेजे इस्तीफा पत्र में आजाद ने पार्टी में अपने पूरे सियासी सफर का वर्णन करते हुए 2013 में राहुल गांधी के कांग्रेस उपाध्यक्ष बनने के साथ पार्टी चलाने के तौर-तरीके पर जितना तीखा हमला किया है उतना अब तक किसी नेता ने नहीं किया था।
सोनिया गांधी इस समय इलाज के लिए राहुल और प्रियंका के साथ विदेश में हैं मगर इस्तीफा पत्र दस जनपथ पहुंचते ही आजाद ने इसे मीडिया को जारी कर दिया। आजाद ने पत्र में कहा है कि बड़े भारी मन से भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस से अपना आधी शताब्दी पुराना नाता तोड़ने का फैसला किया है। पार्टी की प्राथमिक सदस्यता सहित सभी पदों से इस्तीफा दे रहे हैं। असंतुष्ट जी 23 के प्रणेता रहे आजाद ने इसके बाद पत्र में कांग्रेस नेतृत्व पर सियासी तीरों की बौछार करते हुए कहा है कि बेशक सोनिया गांधी ने यूपीए-एक और यूपीए-दो सरकारों के गठन में अहम भूमिका निभाई। लेकिन दुर्भाग्य से राहुल गांधी के राजनीति में प्रवेश और विशेष रूप से जनवरी, 2013 में उनके उपाध्यक्ष बनने के बाद से पार्टी में मौजूद सलाह मशविरे के पूरे ढांचे को ध्वस्त कर दिया गया।
वरिष्ठ और अनुभवी नेताओं को दरकिनार कर अनुभवहीन चाटुकारों की नई मंडली पार्टी के मामलों को चलाने लगी। इस अपरिपक्वता का सबसे ज्वलंत उदाहरण राहुल का एक सरकारी अध्यादेश को फाड़ना था जिसे कांग्रेस कोर ग्रुप्र, प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली कैबिनेट समिति ने मंजूरी दी थी और राष्ट्रपति ने उसे अनुमोदित किया था। इस व्यवहार ने 2014 में यूपीए सरकार की हार में बड़ी भूमिका निभाई। आजाद ने 2019 लोकसभा चुनाव के बाद कांग्रेस की हालत कमजोर होने के लिए कार्यसमिति की बैठक में वरिष्ठ नेताओं को अपमानित करने के बाद अचानक राहुल गांधी के इस्तीफा देने के फैसले को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा है कि इससे हालत और खराब हुई है।
सोनिया के तीन साल से अंतरिम अध्यक्ष बने रहने पर कटाक्ष करते हुए आजाद ने कहा कि यूपीए सरकार के संस्थागत तंत्र को ध्वस्त करने वाला श्रिमोट कंट्रोल मडलश् अब कांग्रेस में भी लागू हो गया है और आप नाम की अध्यक्ष हैं। सारे फैसले राहुल गांधी या फिर उनके सुरक्षा गार्ड और पीए ले रहे हैं। कांग्रेस में बदलाव की आवाज उठाने के लिए अगस्त 2020 में उनके समेत जी-23 नेताओं की ओर से लिखे गए पत्र के बाद उन पर हमले का जिक्र करते हुए आजाद ने कहा है कि नेतृत्व ने अपने चाटुकारों के जरिए असभ्य तरीके से हमला कराया, बदनाम और अपमानित किया।
आजाद ने शब्दों की तीखी बौछार जारी रखते कहा है कि कांग्रेस के संगठन चुनाव पर सवाल उठाया है ओर कहा है कि देश में कहीं भी संगठन चुनाव नहीं हुए हैं। पूरी प्रक्रिया एक दिखावा है और नेतृत्व स्वतंत्रता के लिए लड़ने और उसे हासिल करने वाली राष्ट्रीय आंदोलन की पार्टी के खंडहर पर पकड़ बनाए रखना चाहता है। इसके लिए पार्टी से एक बड़ी धोखाधड़ी को अंजाम देने के लिए नेतृत्व पूरी तरह से जिम्मेदार है। पार्टी ऐसे मुकाम पर पहुंच गई है कि कठपुतली को पार्टी नेतृत्व की कमान सौंपने की तैयारी की जा रही है।
लेकिन यह प्रयोग भी नाकाम होना तय है क्योंकि पार्टी गहरे रूप से छिन्न-भिन्न हो गई है। ऐसे में कांग्रेस का नया चुना हुआ अध्यक्ष एक कठपुतली से ज्यादा कुछ नहीं होगा और दुर्भाग्य कि बात है कि राष्ट्रीय स्तर पर भाजपा ने तो राज्यों में क्षेत्रीय दलों ने कांग्रेस की जगह ले ली है।
राहुल गांधी पर बेहद आक्रामक आजाद के अनुसार यह सब इसलिए हुआ क्योंकि पिछले आठ वर्षों में नेतृत्व ने एक गैर-गंभीर व्यक्ति को पार्टी के शीर्ष पर थोपने की कोशिश की है। कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा पर भी आजाद ने तंज कसते हुए कहा है कि इसकी शुरूआत करने से पहले नेतृत्व को देश भर में कांग्रेस जोड़ो अभियान चलाना चाहिए।

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