कोटद्वार-पौड़ी

हवा बने सरकार के निर्देश, शहर में खूब हो रहा पॉलीथिन का उपयोग

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केंद्र सरकार के निर्देश के बाद भी पालीथिन को नहीं रोक पा रहा नगर निगम
शहर के प्रतिष्ठानों के साथ ही रेहड़ी-ठेललियों में खुलेआम हो रहा पॉलीथिन का उपयोग
जयन्त प्रतिनिधि।
कोटद्वार: भले ही केंद्र सरकार ने एक जुलाई से पूरे भारतवर्ष में पॉलीथिन व सिंगल यूज प्लास्टिक पर रोक लगा दी हो। लेकिन, नगर निगम अब भी कोटद्वार शहर को पॉलीथिन मुक्त नहीं बना पा रहा है। हालत यह है कि शहर के प्रतिष्ठानों के साथ ही रेहड़ी-ठेलियों में खुलेआम पॉलीथिन का उपयोग हो रहा है। बावजूद शहर को स्वच्छ व सुंदर बनाने के दावे करने वाला नगर निगम गहरी नींद में सोया हुआ है।
पर्यावरण संरक्षण को देखते हुए केंद्र सरकार ने एक जुलाइ से पूरे भारत वर्ष में सिंगल यूज प्लास्टिक व पॉलीथिन पर प्रतिबंध लगाया था। इसके लिए बकायदा राज्य सरकारों को आदेश भी जारी किए गए। नियमों को सख्ती से लागू करने के लिए प्रदेश सरकार ने नगर निगम, नगर पंचायत व अन्य विभागों को आदेश जारी किए। लेकिन, कोटद्वार नगर निगम ने सरकार के आदेश को गंभीरता से नहीं लिया। कुछ दिन खानापूर्ति कर अभियान चलाने के बाद नगर निगम शासन के आदेशों को दरकिनार करने लगा है। नतीजा, कोटद्वार शहर में अब भी धड़ल्ले से पालीथिन का उपयोग हो रहा है। बाजार में ग्राहक पॉलीथिन में सामान ले जाते हुए भी आसानी से देखे जा सकते हैं।

पशुओं की जान पर भारी पॉलीथिन
पर्यावरण के साथ ही पॉलीथिन मवेशियों के जीवन पर भी भारी पड़ रही है। दरअसल, कई लोग पॉलीथिन के अंदर खाना भरके उसे सड़क पर फेंक देते हैं। ऐसे में आवारा पशु खाने के चक्कर में पॉलीथिन को भी निगल लेते हैं। पालीथीन उसकी सांस नली में फंस जाती है। जिससे वह सांस नहीं ले पाते और उनकी मौत हो जाती है। शहर में हर रोज सैकड़ों मवेशियों की इसी तरह मौत हो रही है।

पर्यावरण में जहर घोल रही पॉलीथिन
आधुनिक युग में सुविधाओं के विस्तार ने सबसे अधिक पर्यावरण को ही चोट पहुंचायी है। लोगों की सुविधा के लिए ईजाद किया गया पॉलिथीन आज मानव जाति के लिए सबसे बड़ा सिरदर्द बन गया है। नष्ट न होने के कारण यह भूमि की उर्वरा क्षमता को खत्म कर रहा है और भूजल स्तर को घटा रहा है। पॉलिथीन का कचरा जलाने से कार्बन डाईऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड एवं डाईऑक्सींस जैसी विषैली गैस उत्सर्जित होती हैं। इनसे सांस, त्वचा आदि की बीमारी होने की आशंका बढ़ जाती है।

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