उत्तराखंड

सेवारत सैनिक के मौत पर मिले आश्रितों को नौकरी

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बागेश्वर। हिमालय पूर्व सैनिक समिति ने कहा कि एक देश एक कानून होना चाहिए। लेकिन ऐसा नहीं है। सेना में सेवारत सैनिक की मृत्यु के बाद उसके आश्रित को नौकरी नहीं मिलती है। कोरोनाकाल के दौरान प्राइवेट स्कूलों के शिक्षकों को वेतन और प्रोत्साहन राशि भी नहीं मिल सकी है। उन्होंने मांगों का निराकरण नहीं होने पर आंदोलन की चेतावनी दी है। गुरुवार को समिति ने जिलाधिकारी को ज्ञापन सौंपा। कहा कि राज्य सरकार के अधीन शिक्षा विभाग में प्राइवेट शिक्षकों को कोविड-19 के समय कोई सहायता प्राप्त नहीं हुई। जबकि विभागों ने कर्मचारियों को सहायता राशि दी। मान्यता प्राप्त प्राइवेट संस्थानों में सेवा दे रहे शिक्षकों को वेतन भी नहीं मिला। वेतन मानकों के आधार पर तय नहीं है। अभिभावक और मैनेजमेंट मनमानी करते हैं। जिसकी जिम्मेदारी केंद्र और राज्य सरकार को लेनी होगी। सेना में सेवारत सैनिक की मृत्यु सेवाकाल होने पर उसके परिवार के एक व्यक्ति को शैक्षिक आधार पर नौकरी दें। मृतक सैनिक की विधवा को सही जानकारी नहीं मिलने के कारण उन्हें पेंशन आदि में काफी परेशानी हो रही है। उन्होंने मांगों का निराकरण करवाने की मांग की है। इस दौरान अध्यक्ष गोपाल दत्त जोशी, कोषाध्यक्ष जमन सिंह बिष्ट, नंदन सिंह कपकोटी, मोहन सिंह कपकोटी आदि उपस्थित थे।

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