श्राद्ध पक्ष में श्रीमद्भागवत के श्रवण से मिलती है पितरों को शांति
हरिद्वार। श्राद्ध पक्ष में श्रीमद्भागवत कथा श्रवण करने का विशेष महत्व है। पितृ पक्ष में कथा सुनने और करवाने से पितरों को शांति मिलती है। वैसे भी अगर प्रतिदिन कोई मनुष्य श्रीमद् भगवत गीता का पठन अथवा श्रवण करता है तो उसे आत्मिक शांति के साथ ही कष्टों से छुटकारा मिलता है। यह विचार महामण्डलेश्वर स्वामी हरिचेतनानंद महाराज ने श्राद्ध पक्ष में शुरू हुई श्रीमद्भागवत कथा में व्यक्त किये। शुक्रवार को उत्तरी हरिद्वार के रामगढ स्थित श्रीगरीबदास परमानंद आश्रम में सात दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा का प्रारंभ हुआ। इस दौरान कथावाचक महंत केशवानंद ने कहा कि श्रद्धा से किया गया कर्म श्राद्ध कहलाता है। अपने पितरों के लिए श्रद्धा से किए गए मुक्ति कर्म को श्राद्ध कहते हैं। उन्हें तृप्त करने की क्रिया को तर्पण कहा जाता है। तर्पण करना ही पिंडदान करना है। मुख्य यजमान सोनू गिरि, पत्नी टीना देवी व बाला देवी ने व्यासपीठ की पूजा की। इस मौके पर आश्रम प्रबन्धक स्वामी परमानन्द महाराज सहित अन्य मौजूद थे।