राष्ट्रीय सांख्यिकी दिवस पर गोष्ठी का आयोजन
– प्रसिद्घ सांख्यिकीयविद् प्रो़ प्रशांत चंद्र महालनोबिस को याद कर श्रद्घांजलि अर्पित की
नई टिहरी। 17वें राष्ट्रीय सांख्यिकी दिवस के अवसर पर जिला अर्थ एवं सांख्याधिकारी कार्यालय में एक गोष्ठी का आयोजन किया गया। गोष्ठी में जिला अर्थ एवं संख्याधिकारी कार्यालय के समस्त उपस्थित कर्मचारियों ने प्रसिद्घ सांख्यिकीयविद् प्रो़ प्रशांत चंद्र महालनोबिस को याद कर उन्हें श्रद्घांजलि अर्पित की। इस अवसर पर जिला अर्थ एवं संख्याधिकारी टिहरी गढ़वाल साक्षी शर्मा ने एलाईजमेंट आफ स्टेट इंडिकेटर फ्रेमवर्क विद नेशनल इंडिकेटर फ्रेमवर्क फार मानिटरिंग सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल्स पर प्रकाश डालते हुए सतत विकास के लिए आंकडों के महत्व को समझाते हुए बताया कि आंकड़ों को देश के विकास में अहम रोल है। आंकड़ों के बिना विकास को मापना संभव नहीं है। संदीप कुमार ने प्रो महालनोबिस के जीवन परिचय एवं योगदान पर प्रकाश डालते हुये बताया कि इनका जन्म 29 जून 1893 को कलकत्ता में हुआ था। प्रो महालनोबिस ने 1912 में कलकत्ता के प्रेजिडेन्सी कालेज से भौतिकी में स्नातक की उपाधि प्राप्त की तथा 1913 में गणित व भौतिक विज्ञान की उच्च शिक्षा प्राप्त करने को केम्ब्रिज विश्वविद्यालय लन्दन गये। 1915 में वापस भारत आकर प्रो महालनोबिस ने प्रेजिडेन्सी कालेज कलकत्ता में अध्यापन कार्य किया। उनको प्रसिद्घि महालनोबिस दूरी के कारण भी है, जो उनके द्वारा सुझाई गयी एक सांख्यिकी माप है। उन्होंने 17 दिसम्बर 1931 को कलकत्ता में भारतीय सांख्यिकीय संस्थान की स्थापना की। भारत सरकार ने 1949 में उन्हें सांख्यिकीय सलाहकार के रूप में नियुक्त किया। योजना आयोग के सदस्य के रूप में 1955 से 1967 तक उन्होंने कार्य किया। भारत सरकार द्वारा 1968 उन्हें पद्म विभूषण से सम्मानित किया । प्रो महालनोबिस के उल्लेखनीय योगदान के चलते सम्मान के रूप में भारत सरकार उनके जन्म दिवस 29 जून को हर वर्ष राष्ट्रीय सांख्यिकी दिवस के रूप में मनाती है। इस मौके पर अपर सांख्यिकीय अधिकारी धारा सिंह , संदीप कुमार, सुरेश चन्द, प्रधान सहायक भवानी दत्त जोशी, वरिष्ठ सहायक नरेन्द्र सिंह रावत, रमन बमराड़ा सहित चन्द्रशेखर, उमेश बिष्ट, देवेश, विनोद कुमार, दीपक कुमार, आशा लाल, राधे ष्ण उपस्थित रहे।