उत्तराखंड

श्रीदेव सुमन विवि को लेकर कांग्रेस ने उठाए सवाल

Spread the love
Backup_of_Backup_of_add

नई टिहरी। टिहरी जन क्रांति के नायक श्रीदेव सुमन के नाम को जिंदा रखने के लिए चंबा के बादशाही थौल में स्थापित किये गये श्रीदेव सुमन विश्वविद्यालय को लेकर कांग्रेसियों ने तमाम सवाल खड़े किये हैं। कांग्रिसियों का कहना है की श्रीदेव सुमन विश्वविद्यालयों के र्केपसों की स्थिति क्या है। सरकार बताए। नई टिहरी क्या र्केपसविहीन ही रहेगा। देवप्रयाग के नैखरी महाविद्यालय को र्केपस बनाने का स्वागत करते हुए कांग्रेसियों ने जारी प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से पूछा कि क्या इसका हश्र गापेश्वर र्केपस की तरह होगा। सरकार से पूछा है कि श्रीदेव सुमन विश्वविद्यालय ने कितने र्केपस बनाये हैं और उनकी स्थिति क्या है। स्थापित महाविद्यालयों को क्यों हासिए पर धकेल रही है सरकार। चंबा (बादशीथौल) श्रीदेव सुमन विश्वविद्यालय का अब मात्र कार्यालय बचा है। कुलपति के आवास कााषिकेश परिसर में उद्घाटन किया गया है। जिससे जाहिर है कि कुलपतिाषिकेश से चंबा अपडाउन करेंगे। टिहरी को र्केपसविहीन ही रहना होगा। टिहरी कांग्रेस के नेताओं में प्रदेश महामंत्री शान्ति प्रसाद भट्ट, सूरज राणा, नरेंद्र चंद रमोला, नगर पालिका चंबा की अध्यक्ष सुमना रमोला, बिक्रम सिंह पवार, सोबन सिंह नेगी, साब सिंह सजवान, विजय गुंसोला ,शहर कांग्रेस कमेटी चम्बा के अध्यक्ष शक्ति जोशी, नई टिहरी शहर कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष कुलदीप पंवार, देवेंद्र नौडियाल, प्रदेश महिला कांग्रेस कमेटी की महामंत्री दर्शनी रावत का कहना है कि कांग्रेस की सरकार ने 19अक्टूबर 2012 को श्रीदेव सुमन के सम्मान में उन्हीं के पैतृक शहर चम्बा के बादशाहीथौल में श्री देव सुमन उतराखंड विश्वविद्यालय टिहरी गढ़वाल की स्थापना की थी। लेकिन आज इसके अस्तित्व में भाजपा सरकार में खतरे के बादल मंडरा रहे हैं। जबकि श्रीदेव सुमन के गांव जौल में विश्वविद्यालय का भव्य परिसर बनाया जाना चाहिए था।
कांग्रसियों का यह भी आरोप
भाजपा के नेता केवल पौड़ी लोकसभा सभा पर ध्यान केंद्रित करते हैं और हर लोकसभा चुनाव से पहले टिहरी लोकसभा क्षेत्र के संस्थानों से टेड़-छाड़ करते है। टिहरी के रानीचौरी में कांग्रेस सरकार के स्थापित औद्यानिकी और वानिकी विश्वविधालय को भी पौड़ी जिले के भरसार में शिफ्ट किया गया था। सभी राजकीय संस्थान भारी राजनीतिक दबाव के चलते मूल मकसद से भटक चुके हैं। यही स्थिति श्रीदेव सुमन विश्वविद्यालय की बनती दिख रही है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!