उत्तराखंड

जल स्रोतों के ऐतिहासिक, सांस्तिक, पर्यावरणीय पहलुओं का अध्ययन

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पिथौरागढ़। एक दशक के अंतराल में होने वाली अस्कोट अराकोट यात्रा शुरू हो गई है। इस वर्ष यात्रा के जरिए सदस्य परंपरागत जल स्रोतों के ऐतिहासिक, सांस्तिक व पर्यावरणीय पहलुओं को जानने, समझने का प्रयास करेंगे। नगर के शिक्षक व लेखक महेश चंद्र पुनेठा बताते हैं कि वर्ष 1974 में पहाड़ पत्रिका के सदस्यों ने अस्कोट अराकोट यात्रा की शुरुआत की। यह यात्रा दस वर्ष में एक बार होती है। इस बार मुख्य यात्रा 25 मई को पांगू में होगी। उन्होंने बताया कि अभियान के तहत इन दिनों नगर क्षेत्र में स्थित प्रातिक स्रोतों के बारे में जानकारी जुटाई जा रही है। सदस्यों ने पुनेड़ी क्षेत्र में बहने वाली ब्यून गाड़ के आसपास का अध्ययन किया गया। स्थानीय निवासी गिरीश चंद्र पुनेड़ा ने इस क्षेत्र के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी दी। पुनेठा ने बताया कि प्रातिक स्रोतों के साथ ही उनसे जुड़े गांवों की शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार सहित विविध पक्षों के बारे में भी अध्ययन किया जाएगा। अध्ययन यात्रा में किशोर पाटनी, रमेश जोशी, गिरीश चंद्र पांडे, चिंतामणि जोशी, राजीव जोशी, दीपक कुमार, दिनेश भट्ट, बसंत गिरी, विनोद बसेड़ा, राजेंद्र जोशी आदि शिक्षक शामिल रहेंगे।

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