तहसील के खाते से लाखों की ठगी करने वाला ईनामी बदमाश गिरफ्तार
कूटरचित चेक बनाकर यमकेश्वर तहसील के खाते से ठगी गई थी रकम
जयन्त प्रतिनिधि।
कोटद्वार : यमकेश्वर तहसील के खाते से लाखों की ठगी करने वाला फरार आरोपी पुलिस के हत्थे चढ़ गया है। आरोपी पर 25000 हजार रुपये का ईनाम रखा गया था। मामले में दो आरोपियों को पुलिस पूर्व में ही गिरफ्तार कर चुकी है।
मालूम हो कि यमकेश्वर तहसीलदार सुधा डोबाल ने मामले में 20 नवंबर को पुलिस को तहरीर दी थी। जिसमें उन्होंने बताया था कि यमकेश्वर तहसील के एक खाते की चेक बुक के कूटरचित चेक बनाकर खाते से 11,17,027 रूपए की निकासी की गई। बताया कि उक्त निकासी तेरह चेकों के जरिए की गई। धनराशि निकालने का क्रम अगस्त 2023 से नवंबर 2023 तक रहा। पुलिस की जांच में सामने आया कि आरोपितों ने कूटरचित चेकों के माध्यम से साउथ इंडियन बैंक के खाता धारक निहाल सिन्हा, रोहित राज द्वारा नकदी की निकासी की गई। कूटरचित चैकों द्वारा बिहार राज्य के बेगुसराय, लखीसराय, मुंगेर से धनराशि निकाली गई थी। जिन खातों से निकासी की गई, उक्त सभी खाते फर्जी नाम-पते व फर्जी आधार कार्ड पर खोले गए थे। टीम ने विभिन्न स्थानों पर एटीएम के सीसीटीवी फुटेज की जांच की। जांच के दौरान इस बात की पुष्टि हुई कि निहाल सिन्हा व रोहित राज ने पटना के विभिन्न एटीएम से अपने व अन्य फर्जी खातों के एटीएम से धन निकासी की। जिसके बाद पुलिस ने बिहार में पटना में थाना कंकरबाग के चांदमारी चौक से निहाल सिन्हा व रोहित राज को गिरफ्तार कर दिया था। जबकि, मामले में मास्टर माइंड बिहार के जिला लकीसराय के अंतर्गत मेदनी चौक के ग्राम हुसेना निवासी गोरे लाल यादव उर्फ दीपक यादव उर्फ गोरखा पुत्र दिनेश यादव फरार चला रहा था। यमकेश्वर थानाध्यक्ष उमेश कुमार ने बताया कि गुरुवार को पुलिस ने आरोपित गोरे लाल याद को बिहार से गिरफ्तार किया।
ऐसे निकालते थे धनराशि
गैंग लीडर गोरे लाल यादव उर्फ दीपक कुमार उर्फ गोरखा बैंको में सरकारी निकायों/कार्यालयो के चेक/खाता संख्या आदि की जानकारी लेकर खातों की चेक बुक का क्लोन बनाता था। इन्हीं चेकों से धनराशि निकाली जाती थी। गोरे लाल यादव आदिवासी क्षेत्रों में रह रहे अशिक्षित लोगों को प्रलोभन देकर बायोमेट्रिक फिंगर प्रिंट लेता था और उनकी फोटो की जगह किसी अन्य की फोटो लगा कर फर्जी आधार कार्ड तैयार करता था। फर्जी आधार कार्ड से फर्जी सिम लेने के साथ ही फर्जी खाते खुलवाए जाते थे।