संक्रमण पर गंभीरता दिखाए सरकार
आखिरकार हमारी लापरवाहीयों और कोरोना के प्रति बरती जाने वाली सावधानियों की अवहेलना करने का परिणाम एक बार फिर हमारे सामने नजर आने लगा है। दिल्ली के हालातों के बाद उत्तराखंड के लिए खतरे की घंटी बजती भी साफ नजर आने लगी है। सार्वजनिक जीवन में लापरवाही का जो मंजर पिछले तीन महीने से देखने को मिल रहा है उसी का परिणाम है कि उत्तराखंड आज भी कोरोना मुक्त नहीं हो पाया है और आने वाले दिनों में यह सूरते हाल सुधरते भी नजर नहीं आ रहे है। खुद प्रदेश के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत दिल्ली के हालातों को उत्तराखंड के लिए चिंताजनक बता चुके हैं लेकिन बावजूद इसके अभी तक उत्तराखंड की सीमाओं पर बाहर से आने वाले लोगो की जांच को लेकर कोई नीति नहीं बन पाई है। अधिकांश सीमा बैरियरो पर बिना जांच के आवाजाही हो रही है। साफ है कि कोरोना के बढ़ते प्रभाव को लेकर कहीं भी गंभीरता नजर नहीं आ रही है। उत्तराखंड प्रदेश में कोरोना के मामले 71000 से ऊपर पहुंच चुके हैं जिनमें अभी भी सक्रिय मामले 4298 है जबकि कोरोना संक्रमण के कारण 1162 लोगों की जान जा चुकी है। हम यह कहकर अब चुप नहीं रह सकते कि भारत के सभी राज्यों में करोड़ों की यही स्थिति है बल्कि यदि राज्य सरकार ने प्रारंभिक स्तर पर गंभीरता से कोरोना के मामलों को लिया होता तो यह स्थिति बहुत पहले ही हमारी जा सकती थी। उत्तराखंड में अनलॉक की व्यवस्था शुरू होने के बाद सामुदायिक दूरी की धज्जियां उड़ाने का जो क्रम शुरू हुआ उसने ना केवल कोरोना वायरस सामुदायिक संक्रमण का कारण बनाया बल्कि सरकार एवं संबंधित एजेंसियों द्वारा सख्ती ना बरते जाने के कारण लोग भी बेपरवाह होते चले गए। आज कोरोनावायरस एक बार फिर भय पैदा कर रहा है और पुनः ऐसे हालात बनने लगे हैं जहां ना केवल बाजारों की गतिविधियों पर अंकुश लगाने की संभावनाएं दिख रही है तो वही स्वास्थ्य विभाग के लिए भी आने वाले दिन बेहद चुनौती भरे साबित होने वाले हैं। राज्य सरकार को बाहरी लोगों की आवाजाही को लेकर एक बार फिर से कड़े दिशा-निर्देश जारी करने के साथ अनिवार्य जांच को भी शुरू करना होगा अन्यथा उत्तराखंड के लिए एक बार पुनः बुरे हालात पैदा होने में समय नहीं लगेगा। तमाम दिशा निर्देशों के बावजूद सार्वजनिक जीवन में अभी भी मास्क एवं सामुदायिक दूरी को गंभीरता से नहीं लिया जा रहा है। महज चालान काट कर यदि कोरोना नियंत्रित होना होता तो शायद उत्तराखंड ऐसा पहला प्रदेश होता यहां से अब तक कोरोनावायरस गायब हो चुका होता।