संपादकीय

स्वदेशी कोरोना वैक्सीन की उम्मीद

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कोरोना की वैक्सीन को लेकर बड़े स्तर पर काम चल रहा है और परिणाम भी अब काफी सकारात्मक नजर आने लगे हैं भारत में भी स्वदेशी वैक्सीन की उम्मीदें बनने लगी है। इसके तहत गोवा, हैदराबाद और रोहतक में स्वदेशी कोरोना वैक्सीन के आखिरी चरण का ट्रायल प्रारंभ हो चुका है। एक तरफ अमेरिका, रूस और ब्रिटेन जैसे देश कोरोना की वैक्सीन लाने का दावा कर रहे हैं तो वहीं भारत ने भी इस दिशा में अपनी महारत हासिल करने की मंजिल की ओर बढ़ना शुरू कर दिया है। भारत में स्वदेशी वैक्सीन की डोज का परीक्षण किया जा चुका है और परीक्षण के लिए अब इसकी दूसरी डोज देनी बाकी है। कोरोना की वैक्सीन के लिए भारत अधिक समय तक दूसरे देशों पर निर्भर नहीं रह सकता इसके लिए भारत को खुद अपनी व्यक्तिवैक्सीन इजाद करनी होगी। स्वदेशी वैक्सीन की पहली डोज के बेहद उत्साहवर्धक परिणाम मिले हैं और इसका कोई साइड इफेक्ट नजर नहीं आया है। इधर भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी वैक्सीन की उम्मीदों को लेकर बेहद आत्मविश्वास में है और देश के मुख्यमंत्रियों के साथ की गई समीक्षा बैठक में भी उन्होंने इस विषय पर बेहद गंभीरता से चर्चा की है। भारत सरकार हर डेवल्पमेंट पर बारीकी से नजर बनाए रखे है, अभी यह तय नहीं है कि वैक्सीन की एक डोज होगी दो होगी या तीन होगी, अभी भी इन सारी चीजों के सवालों के जवाब देश के सामने आने बाकी है । भारत के पास हर प्रकार के संसाधन एवं मेन पावर उपलब्ध है जो इस कार्य के लिए सबसे अधिक उपयुक्त साबित होंगे। वैक्सीन के सफल परीक्षण के बाद सरकार के लिए इस वैक्सीन को हर व्यक्ति तक पहुंचाना एक बड़ी चुनौती होगी और यह मिशन तभी पूर्ण माना जाएगा जब देश के हर व्यक्ति तक इसे उपलब्ध कराया जा सकेगा। आत्म निर्भर बनने की दिशा में भारत में केवल दूसरे क्षेत्रों में बल्कि कोरोना के लिए वैक्सीन इजाद करने में भी किसी से पीछे नहीं है । भारत जो भी वैक्सीन अपने नागरिकों को देगा वह हर वैज्ञानिक कसौटी पर खरी होगी। सबसे महत्वपूर्ण तो आने वाले समय में यह होगा कि राज्य किस प्रकार से इस वैक्सीन के वितरण का प्रबंध करते हैं । निश्चित तौर पर स्वास्थ्य विभाग के कंधों पर एक बड़ी जिम्मेदारी आने वाली है जिसके लिए युद्ध स्तर पर कार्य करने की जरूरत होगी । यह आम जनता को भी धैर्य का प्रदर्शन करना होगा क्योंकि वैक्सीन उपलब्धध कराने कुछ समय तो लगना ही है। हालांकि इससे पहले अभी भी हमें कोरोना का हराने के लिए पुरानी शैली को अपनाते हुए सामुदायिक दूरी एवं सार्वजनिक स्थल पर जाने से पूर्व हमेशा मास्क लगाने के नियम को तोड़ना नहीं है।

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