आपदा में अवसर: श्रीनगर में 4 किमी दूर श्मशान घाट तक शव ले जाने के एंबुलेंस ने लिये 6 हजार
राजीव खत्री,
श्रीनगर। श्रीनगर बेस अस्पताल में अव्यवस्थाएं हावी हैं। यहां की व्यवस्थाओं को लेकर मरीजों व तीमारदारों को तो शिकायत रहती है। लेकिन मरीज के मरने के बाद भी अस्पताल की अव्यवस्थाएं मरीज के परिजनों को परेशान व हताश करने में कोई कसर नहीं छोडती। सोमवार को बेस अस्पताल के कोविड वार्ड में भर्ती मरीज की मौत का डेथ सर्टिफिकेट मिलने के चार घंटे तक परिजन शव को एम्बुलेंस से अंतिम संस्कार के लिए ले जाने को भटकते रहे। मजबूरन परिजनों को प्राइवेट एम्बुलेंस करनी पड़ी। एम्बुलेंस वाले ने भी कोविड मरीज का हवाला देते हुए तीन किमी. दूर स्थित अल्केश्वर घाट तक बॉडी पहुंचाने के 6 हजार रुपए वसूल दिए। खास बात तो यह है कि मृतक मरीज के परिजनों को निजी एंबुलेंस मालिक का नंबर अस्पताल के मोर्चरी से ही दिया गया।
पौड़ी समाज कल्याण विभाग में कार्यरत मनीष की सोमवार सुबह 8 बजे के करीब मौत हो गई। मृतक के परिजन राहुल ने बताया कि अस्पताल प्रशासन द्वारा जरूरी प्रक्रिया पूरी करने में करीब तीन घंटे लगाने के बाद उन्हें साढ़े 11 बजे डेथ सर्टिफिकेट दिया गया। अस्पताल प्रशासन ने शव को मोर्चरी से श्मशान तक ले जाने के लिए एंबुंलेस दिए जाने की बात कही गई। जब उन्होंने एंबुलेस के लिए कोविड कंट्रोल रूम में फोन किया तो बताया गया कि एंबुलेंस वाले खाना खाने गए हैं। डेढ बजे तक आंएगे। लेकिन एंबुलेंस चार बजे तक नहीं आई। इस दौरान उन्होंने कंट्रोल रूम में कई फोन किए। कंट्रोल रूम से हर बार यहीं कहा गया कि हमने काल कर दी हैं। एंबुलेस आने वाली है। शव को ले जाने के लिए उन्हें चार घंटे के अधिक समय तक एम्बुलेंस उपलब्ध नहीं कराई गई। अस्पताल प्रशासन से गुहार लगाने पर उन्हें बताया गया कि अभी डिस्पोजल टीम लंच पर है। राहुल ने बताया कि इस मामले में प्रशासन व अस्पताल प्रबंधन से कई बार गुहार लगाई गई। लेकिन उनकी कोई सुध नहीं ली गई। कहा मजबूरी में उन्हें 4 हजार रुपये में प्राइवेट एम्बुलेंस करनी पड़ी। एंबुलेंस वाले ने 2 हजार और लिए। अस्पताल के पीआरओ एम्बुलेंस दीनदयाल रावत ने बताया कि एम्बुलेंस मोर्चरी में ही खड़ी थी, लेकिन डिस्पोजल टीम लंच पर गई थी। इस घटना से क्षुब्ध राहुल ने कहा कि पहाड़ में संवेदनाएं खत्म हो चुकी हैं। कई बार प्रशासन व अस्पताल प्रबंधन से एम्बुलेंस से शव ले जाने की गुहार लगाई गई। लेकिन सब अपनी जिम्मेदारी से किनारा करते रहे। उन्हें बताया गया कि टीम खाना खाने गई हुई है। लेकिन चार घण्टे तक भी टीम नहीं आयी तो उन्हें प्राइवेट एम्बुलेंस का सहारा लेना पड़ा।
क्या कहते हैं अधिकारी
एसडीएम रविंद्र सिंह बिष्ट ने बताया कि यह मामला संज्ञान में आया है। अस्पताल प्रशासन को इस बारे में अवगत कराया गया था। बावजूद परिजनों को महंगे दामो पर प्राइवेट एम्बुलेंस कर शव को अंतिम संस्कार के लिए ले जाना पड़ा। उन्होंने इसे गंभीर विषय बताते हुए अस्पताल प्रबंधन की कार्य शैली पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि इस मामले में प्राइवेट एम्बुलेंस वाले के खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा कि घाट पर अंतिम संस्कार के लिए एसडीआरएफ की टीम मदद को भेज दी गई थी। अस्पताल के सीएमएस डा. केपी सिंह ने कहा कि अस्पताल की एम्बुलेंस मोर्चरी में ही खड़ी थी। डिस्पोजल टीम लंच पर गई थी। परिजनों द्वारा जल्दबाजी की जा रही थी।