नई टिहरी। प्रदेश कांग्रेस कमेटी के पूर्व अध्यक्ष किशोर उपाध्याय ने केन्द्र व राज्य सरकारों पर टिहरी की उपेक्षा का आरोप लगाते हुये कहा कि राजनैतिक, सामाजिक, सांस्कृतिक और शैक्षिक क्षेत्र में आजादी के इतने दिनों के बाद भी पूर्ववर्ती टिहरी राज्य की शक्ति को निहित राजनैतिक स्वार्थों के लिये भौगौलिक रूप से छिन्न-भिन्न किया गया। प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से उपाध्याय ने कहा कि विगत लोक सभा क्षेत्रों के परिसीमन में जहां-जहां टिहरी राज्य के निवासियों का प्रभाव था, उसे छिन्न-भिन्न कर दिया गया। नई टिहरी में लोक सभा चुनाव का नामांकन होता था, उसे भी यहां से अन्यत्र जगह कर दिया गया। यहां तक कि विधान सभा क्षेत्रों के क्रम को भी बदला गया। जब-जब टिहरी राज्य से नेतृत्व की संभावनायें बनीं तो क्षीण करने का काम किया गया। राज्य के विलय के समय जो वादे किये गये थे, एक भी वादा पूरा नहीं किया गया। 8-8 बार के सांसद की उपेक्षा कर नौ-सीखिये राजसत्ता पा गये और टिहरी राज्य के लोग मुंह ताकते रह गये। टिहरी बांध निर्माण के समय किये गये वादों को भी तिलांजलि दे दी गयी। स्वीकृत बड़े संस्थानों को दूसरी जगह ले जाया गया और हम लड़ते रहे, दूसरों को बनाते रहे। हर बार टिहरी की भौगोलिक व प्रशासनिक रूप से छिन्न-भिन्न करने का काम किया गया। बीर गब्बर सिंह, श्रीदेव सुमन, त्रेपन सिंह नेगी, मोलू सिंह भरदारी, इन्द्रमणि बडोनी, विश्वेश्वर दत्त सकलानी, सुन्दर लाल बहुगुणा जैसी शख्सियतों के होते हुये भी टिहरी को उपेक्षा का दंश झेलना पड़ा है।