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चीनी सामानों के साथ भाषा को भी ठुकराया, मोदी सरकार ने छम्च् में किया बयकट

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नई दिल्ली। सीमा पर आक्रामकता दिखा रहे चीन को जवाब देने के लिए एक तरफ चीनी सामानों के बहिष्कार की मुहिम चल रही है तो इस बीच सरकार ने पड़ोसी देश की भाषा को भी ठुकरा दिया है। हाल ही में कैबिनेट की ओर से मंजूर नई शिक्षा नीति में चाइनीज को विदेशी भाषाओं की उस सूची में शामिल नहीं किया गया है, जिन्हें सेकेंड्री स्कूल लेवल पर छात्रों को पढ़ाया जाएगा।
इस सूची में फ्रेंच, जर्मन, जापानी, कोरियन, स्पैनिश, पोर्तगीज, रसियन, और थाई को विकल्प के रूप में रखा गया है, जिन्हें छात्र चुन सकते हैं। हालांकि, पिछले साल जब नई शिक्षा नीति का मसौदा जारी किया गया था तब इसमें फ्रेंच, जर्मन, जापानी और स्पैनिश के साथ चाइनीज का जिक्र भी था।
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सूचना और प्रसारण मंत्री केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़केर और मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल की ओर से बुधवार को जारी छम्च् में चाइनीज को हटा दिया गया है। माना जा रहा है कि यह फैसला चीन के साथ चरम पर पहुंचे तनाव की वजह से लिया गया है। पिछले महीने 15 जून को चीनी सैनिकों के साथ हिंसक झड़प में 20 भारतीय सैनिक शहीद हो गए थे। गलवान घाटी हिंसा के बाद दोनों देशों में तनाव बहुत अधिक बढ़ चुका है।
भारत ने हाल ही में टिकटक, वीचौट सहित चीन के 59 मोबाइल ऐप्स को बैन कर दिया। सरकार ने इन्हें देश की सुरक्षा के लिए खतरा बताया था। इसके कुछ दिनों बाद सरकार ने इन ऐप्ल के दूसरे वैरिएंट और क्लोन वाले 47 और ऐप्स को बैन कर दिया। इसके बाद चीन ने कहा है कि वह अपनी कंपनियों की हितों की रक्षा के लिए जरूरी कदम उठाएगा।
गौरतलब है कि पूर्वी लद्दाख में चीन की आक्रामकता के बाद देशभर में चीनी सामानों का बहिष्कार चल रहा है। सरकार ने चीनी कंपनियों के कई ठेकों को रद्द कर दिया है। इसके अलावा सरकारी टेंडर हासिल करने से भी रोक दिया गया है। जनता और सरकार दोनों ही स्तरों पर चीनी सामानों के बहिष्कार से ड्रैगन को जोरदार झटका लगा है।

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