महाराष्ट्र विधानसभा से विधायकों को निलंबित करने का मामला, सुको की टिप्पणी- प्रजातंत्र के लिए यह खतरनाक
नई दिल्ली, एजेंसी। महाराष्ट्र विधानसभा से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के 12 विधायकों को सस्पेंड किये जाने के मामले की समीक्षा सुप्रीम कोर्ट में की गई। इन सभी विधायकों को जुलाई 2021 में एक साल के लिए सस्पेंड किया गया था। मंगलवार को देश की सबसे बड़ी अदालत ने कहा कि इस तरह के कदम प्रजातंत्र के लिए खतरनाक हो सकते हैं। अदालत ने कहा कि 6 महीने से ज्यादा किसी संसदीय क्षेत्र को प्रतिनिधित्व से दूर रखने की वारंटी संविधान के द्वारा नहीं दी गई है।
जस्टिस एएम खानविल्कर की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा, हाउस (विधानसभा) संविधान और मौलिक अधिकारों के तहत चलता है। अगर छह महीने के अंदर किसी पद को भरने का वैधानिक दायित्व है तो इसके आगे कोई भी चीज असंवैधानिक है। विधानसभा से निलंबित किये गये 12 विधायकों ने सरकार के इस निर्णय के खिलाफ अदालत में अलग से याचिका दायर की थी। 5 जुलाई, 2021 को विधानसभा स्पीकर ने इस संबंध में प्रस्ताव को हरी झंडी दिखाई थी। अदालत ने इसी मामले की सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी की है।
बेंच में शामिल जस्टिस दिनेश माहेश्वरी और सीटी रविकुमार ने आगे कहा कि श्अगर हम इस तथ्य को मान भी लें कि हाउस को सस्पेंड करने की ताकत है लेकिन आप किसी क्षेत्र को प्रतिनिधित्व करने से एक साल तक नहीं रोक सकते हैं। अगर कोई सदस्य निष्कासित हो जाता है तो वो वहां खाली स्थान यानी वैकेंसी होती हो जाती है और इसे 6 महीने के अंदर भरा जाना जरूरी है।श्
अदालत में निलंबित विधायकों की तरफ से वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी, महेश जेठमलानी और सिद्घार्थ भटनागर अपनी दलीलें दे रहे थे। वरिष्ठ वकीलों ने कहा कि विधायकों को सस्पेंड करने का प्रस्ताव पारित करने के दौरान विधायकों के नैचुरल जस्टिस को अनसुना कर दिया गया। मुकुल रोहतगी ने कहा कि हाउस के किसी सदस्य को 60 दिनों से ज्यादा के लिए सस्पेंड नहीं किया जा सकता है।
अदालत में महाराष्ट्र सरकार की तरफ से वरिष्ठ वकील सीए सुंदरम उपस्थित थे। उन्होंने कहा कि निलंबित करने की ताकत बिल्कुल सही है और राज्य विधानसभा के इस फैसले में कोई कमी नहीं है। उन्होंने कहा कि उनके नियमों के विपरित व्यवहार के गवाह स्पीकर और सदस्य थे। बेंच ने सुंदरम से कहा, श्आपकी दलीलें प्रजातंत्र के लिए खतरनाक हैं। पूरी ताकत का मतलब बेलगाम ताकत नहीं होता है। कौन जानता है कि यह प्रयोग के लिए मिसाल बन जाए। आज 12 हैं कल 120 हो सकते हैं। क्या यह संविधान की आधारभूत संरचना पर चोट नहीं है?श् मामले में सुनवाई अब अगले मंगलवार को होगी।