नैनीताल हाई कोर्ट में 21 फरवरी से होगी भौतिक रूप से सुनवाई, वीडियो कांफ्रेंसिंग का विकल्प भी रहेगा जारी
नैनीताल। केंद्र व राज्य सरकार की ओर से जारी नई कोविड गाइड लाइन के बाद अब नैनीताल हाई कोर्ट में 21 फरवरी से सामान्य ढंग से यानी भौतिक रूप से सुनवाई होगी। हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल धनंजय चतुर्वेदी की ओर से इस संबंध में अधिसूचना जारी की गई है। गुरुवार को शासन ने राज्य में कोविड गाइडलाइन के अंतर्गत नाइट कर्फ्यू समाप्त कर दिया है। शुक्रवार को जारी अधिसूचना में कहा गया है कि कार्यवाहक मुख्य न्यायधीश के आदेश पर सोमवार से हाई कोर्ट में सामान्य दिनों की भांति सभी मामलों की सुनवाई होगी, अलबत्ता कोर्ट ने वीडियो कांफ्रेंसिंग का विकल्प भी रखा है। बताया गया है कि कोर्ट परिसर में न्यायिक अधिकारी-कर्मचारियों, अधिवक्ताओं व वादकारियों को कोविड गाइडलाइन का पालन करना अनिवार्य होगा।
हाई कोर्ट ने भारतीय वन सेवा के अधिकारी व मुख्य वन संरक्षक अनुसंधान संजीव चतुर्वेदी की रिकल एप्लीकेशन पर सुनवाई की। कोर्ट ने केंद्रीय प्रशासनिक ट्रिब्यूनल (कैट) के पूर्व चेयरमैन जस्टिस एल नरसिंहन रेड्डी को नोटिस जारी कर चार सप्ताह में जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए हैं।
फरवरी 2019 में जस्टिस शरद शर्मा की एकलपीठ ने कैट के पूर्व चेयरमैन के खिलाफ अवमानना नोटिस जारी किया था। इस अवमानना नोटिस को जस्टिस रेड्डी ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। सर्वोच्च न्यायालय ने मार्च 2019 में नैनीताल हाई कोर्ट में चल रही अवमानना याचिका पर अगले आदेश तक सुनवाई स्थगित रखने व और आगे कोई आदेश पारित ना करने के निर्देश जारी किए थे। साथ ही इस मामले में याचिकाकर्ता आइएफएस संजीव को नोटिस जारी करते हुए चार सप्ताह में जवाब दाखिल करने को कहा था। इसके बाद इस प्रकरण में दोनों पक्षों की ओर से जवाब व प्रतिशपथ पत्र दाखिल करने की कार्रवाई पूरी हो चुकी थी, लेकिन कोविड के कारण सुप्रीम कोर्ट में बहस नहीं हो सकी। 19 नवंबर 2021 को यह मामला फिर लिस्टेड हो गया तो न्यायाधीश न्यायमूर्ति मनोज तिवारी की एकलपीठ ने इस मामले को बंद करते हुए जस्टिस रेड्डी को अवमानना के आरोप से दोषमुक्त कर दिया। कोर्ट ने याचिकाकर्ता संजीव को यह भी छूट दी कि यदि सुप्रीम कोर्ट में उनके हक में फैसला होता है तो वह उच्च न्यायालय में अवमानना की कार्रवाई शुरू करने के लिए प्रार्थना पत्र दे सकते हैं।
इस आदेश के खिलाफ संजीव ने दिसंबर में रिकल प्रार्थना पत्र दाखिल किया, जिसमें सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए 17 नवंबर के आदेश को वापस लेने की याचना की गई। रिकल प्रार्थना पत्र में यह भी कहा गया कि इस प्रकार के आदेशों से उच्च न्यायालय की अवमानना के प्रकरणों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। याद दिलाया कि जस्टिस रेड्डी ने उच्च न्यायालय के आदेशों का अनुपालन नहीं किया।
न्यायमूर्ति तिवारी की एकलपीठ ने संजीव की याचिका पर सुनवाई करते हुए पूर्व चेयरमैन जस्टिस रेड्डी को नोटिस जारी करते हुए चार सप्ताह में जवाब दाखलि करने को कहा है। अगली सुनवाई 29 मार्च को होगी। यह मामला संजीव के एसीआर में जीरो अंकन से संबंधित है।