नवीन की मौत की खबर सुनते ही दिन-रात काटने हो रहे थे मुश्किल
कोटद्वार की शिवानी शर्मा ने घर पहुंचकर सुनाई आपबीती
-कर्नाटक निवासी नवीन, शिवानी के कॉलेज का ही था छात्र
जयन्त प्रतिनिधि।
कोटद्वार : कर्नाटक के रहने वाले नवीन शेखरप्पा की मौत की खबर सुनते ही हमारे पैरों तले जमीन खिसक गई। हम उस वक्त खारकीव रेलवे स्टशेन में ही थे। गोलाबारी के बीच इस खबर ने हमारी नींद तक उड़ा दी थी। यूक्रेन में रात-दिन काटने मुश्किल हो रहे थे। किसी तरह हम हंग्री बॉर्डर तक पहुंचे और वहां से घर वापसी हो सकी। यह आप बीती देवीरोड निवासी शिवानी शर्मा ने घर पहुंचने के बाद पत्रकारों से साझा की।
देवीरोड निवासी विजय शर्मा ने बताया कि उनकी बेटी शिवानी शुक्रवार रात करीब साढ़े नौ बजे युक्रेन से कोटद्वार अपने घर पहुंची। वह यूक्रेन के खारकीव में एमबीबीएस की पढ़ाई करने गई थी। जब से यूक्रेन में रूस में हमला किया है, तब से हम सो नहीं पा रहे थे। रात-दिन टीवी के सामने बैठे रहते थे और यूक्रेन व खारकीव के हालात जानते रहते थे। वहीं, बेटी से भी लगातार फोन पर बात करते रहते थे। उन्होंने कहा कि खारकीव में हालात ज्यादा खराब हैं तो वह किसी भी तरह बेटी शिवानी को भारत वापस लाना चाहते थे। शिवानी ने बताया कि उनके बंकर से करीब एक से डेढ किमी की दूरी पर बमबारी और गोलाबारी होती रहती थी। जब भी वह खाना लेने या किसी अन्य जरूरी काम से बंकर से बाहर आते थे तो बमबारी व गोलाबारी को साफ महसूस कर पाते थे। शिवानी ने बताया कि कर्नाटक का रहने वाला नवीन शेखरप्पा उन्हीं के वीएन कराजिन खारकीव नेशनल मेडिकल कॉलेज का छात्र था। जब बमबारी में उसकी मौत की खबर सुनी तो हम सभी सहम गए थे। हम किसी भी तरह यूक्रेन बॉर्डर क्रॉस करना चाहते थे। हम अपनी व्यवस्था से किसी तरह हंग्री के बॉर्डर पर पहुंचे और फिर वहां से सफर आसान होता चला गया।
बॉर्डर तक पहुंचना ॅहै बड़ी चुनौती
शिवानी ने बताया कि बॉर्डर से भारत आना आसान है, लेकिन यूक्रेन के अंदर से बॉर्डर तक पहुंचना बहुत मुश्किल है। सभी कह रहे हैं कि किसी तरह बॉर्डर तक पहुंचों, लेकिन पहुंचे कैसे यह नहीं बताया जा रहा है। छात्र बड़ी मुश्किल से अपनी व्यवस्था पर किसी तरह बॉर्डर पर पहुंच रहे हैं। शिवानी ने बताया कि उन्हें तो ज्यादा पैदल नहीं चलना पड़ा, लेकिन अन्य कई छात्रों को मीलों पैदल चलना पड़ रहा है।
मंत्रालय से की है भारतीय एम्बेसी के अधिकारियों की शिकायत
शिवानी के पिता विजय शर्मा ने बताया कि भारतीय एम्बेसी के अधिकारी फोन उठाने तक को राजी नहीं हैं। किसी तरह अगर वह फोन उठाते भी हैं तो कोई भी ठीक से जवाब तक नहीं देता। माता-पिता अपने बच्चों को लेकर परेशान हैं, ऐसे में वह किससे आस लगाएं। अधिकारियों की इसी लापरवाही को लेकर उन्होंने मंत्रालय से शिकायत की है।