दूसरी खुराक और एहतियाती खुराक के बीच का अंतर होगा कम, सरकार जल्द ले सकती है फैसला
नई दिल्ली, एजेंसी। सरकार जल्द ही कोविड-19 वैक्सीन की दूसरी खुराक और एहतियाती खुराक के बीच के अंतर को मौजूदा नौ महीने से कम करके छह महीने तक कर सकती है। आधिकारिक सूत्रों ने बुधवार को कहा कि इस अंतर को कम करने के लिए टीकाकरण पर राष्ट्रीय तकनीकी सलाहकार समूह (एनटीएजीआई) द्वारा सिफारिश किए जाने की उम्मीद है, जिसकी 29 अप्रैल को बैठक होने वाली है।
आईसीएमआर और अन्य अंतरराष्ट्रीय शोध संस्थानों के अध्ययनों ने सुझाव दिया है कि दोनों खुराक के साथ प्राथमिक टीकाकरण से लगभग छह महीने बाद एंटीबडी स्तर कम हो जाता है और बूस्टर देने से प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया बढ़ जाती है। 18 वर्ष से अधिक आयु के वे सभी लोग जिन्होंने दूसरी खुराक लेने के नौ महीने पूरे कर लिए हैं, वे एहतियाती खुराक के लिए पात्र हैं।
यहां और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर किए गए अध्ययनों के वैज्ञानिक साक्ष्य और निष्कर्षों को ध्यान में रखते हुए कोविड-19 वैक्सीन की दूसरी खुराक और एहतियाती खुराक के बीच के अंतर को मौजूदा नौ महीने से कम करके जल्द ही छह महीने तक करने की संभावना है। आखिरी फैसला एनटीएजीआई की सिफारिशों के आधार पर लिया जाएगा, जिसकी शुक्रवार को बैठक होने वाली है।
भारत ने 10 जनवरी से हेल्थकेयर और अग्रिम पंक्ति के स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं और 60 वर्ष और उससे अधिक आयु के लोगों को टीकों की एहतियाती खुराक देना शुरू किया था। सरकार ने मार्च में 60 वर्ष से अधिक आयु के सभी लोगों को एहतियाती खुराक के लिए पात्र बनाते हुए कमरेडिटी क्लज को हटा दिया। स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक अब तक 18-59 साल के आयु वर्ग में 5,17,547 एहतियात की खुराक दी जा चुकी है।
इसके अलावा, 4736567 स्वास्थ्य कर्मियों, 7447184 अग्रिम पंक्ति के स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं और 60 वर्ष और उससे अधिक उम्र के 14,545595 व्यक्तियों ने एहतियाती खुराक लिए हैं। भारत ने 10 अप्रैल को निजी टीकाकरण केंद्रों पर 18 वर्ष से अधिक आयु के सभी लोगों को कोविड-19 टीकों की एहतियाती खुराक देना शुरू किया।